
UNITED NEWS OF ASIA. हसीब अख्तर, जगदलपुर | बस्तर में आयोजित भर्ती परीक्षा के दौरान एक आदिवासी छात्रा को परीक्षा कक्ष में प्रवेश नहीं दिया गया क्योंकि उसने काले रंग के कपड़े पहने थे। इस घटना से न केवल परीक्षार्थियों में आक्रोश है बल्कि इसे आदिवासी समाज के सम्मान से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
शिवसेना के प्रदेश नेता अरुण पांडेय ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा –
“परीक्षार्थी को परीक्षा से वंचित करने के बजाय उसकी सुविधा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती थी। परीक्षा का उद्देश्य योग्य उम्मीदवारों का चयन करना है, न कि अपमानित करना।”
उन्होंने यह भी कहा कि आयोजकों को महिला बाल विकास विभाग की मदद से कपड़ों की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी। इस तरह की लापरवाही को गंभीर मानते हुए उन्होंने दोषियों पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग की।
शिवसेना का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएँ बस्तर के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं।
पार्टी ने छात्रा से आग्रह किया है कि वह अपने जिले के कलेक्टर को लिखित शिकायत दे, ताकि यह मामला आधिकारिक रूप से दर्ज हो सके।
पांडेय ने कहा –
“यह साहसिक कदम न केवल आपके अधिकारों की रक्षा करेगा बल्कि सभी आदिवासी बहनों के लिए एक मिसाल बनेगा।”
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