झारखंड सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल की घोषणा करने का फैसला किया है। इसके विरोध में जैन समुदाय के लोगों ने 21 दिसंबर को देश भर में प्रदर्शन किया है। जैन समाज का आरोप है कि यह कदम सत्ताधारी सरकार ने स्व-यंत्र के रूप में शुरू किया है।
जैनियों का सबसे बड़ा और प्रमुख तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को तीर्थयात्रियों के स्थल घोषित किए जाने की घोषणा की गई देश भर का जैन समाज पुलकित है। देश के अलग-अलग हिस्सों में सम्मेद शिखर के पक्ष में प्रदर्शन किया जा रहा है। झारखंड सरकार सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल देने के प्रस्ताव को लेकर ये विरोध प्रदर्शन हो रहा है। जगह-जगह जैन समाज ने जाल बिछाया है।
दरअसल जैन समाज का कहना है कि झारखंड सरकार ने जब सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने का फैसला किया है तो इससे वहां काफी बदलाव होने की उम्मीद है। जैन समाज का कहना है कि पर्यटन स्थल बनाए जाने से शिखर की पूर्णता और अखंडता समाप्त हो जाएगी। जैन समाज का आरोप है कि यह कदम सत्ताधारी सरकार ने स्व-यंत्र के रूप में शुरू किया है।
सरकार का ये कदम पाकिस्तान में हो रहे अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अत्याचार के बराबर है। जैन समाज ने मांग की है कि सरकार इस पवित्र स्थल की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए पर्यटन स्थल को बनाए रखने का निर्णय वापस ले ले। जैन समाज के अनुसार सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद तीर्थराज पर्वत पर सरकारी होटल, रेस्तरां, आदि रहने वाली शराब, मांस-मदिरा की अनुमति देने से जैन समाज की आस्था के साथ पर्वतारोही आपकी।
देश भर में बंद
सरकार के इस प्रस्ताव के विरोध में जैन समाज के आह्वान पर भारत बंद कर दिया गया है। समाज के लोगों का कहना है कि जहां साधना, गणपति और भगवान की भक्ति होती है, उस पवित्र स्थान को पर्यटन स्थल घोषित करना निंदनीय कृत्य है। सम्मेद शिखर को बचाना सिर्फ जैन नहीं बल्कि राष्ट्र की सम्या है। अगर सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती है तो तीर्थ स्थल को बचाने के लिए जैन समाज आंदोलन भी करेगा।
कई जगह विरोध हुआ
मध्य प्रदेश के जबलपुर में जैन समाज के लोगों ने शहर भर में प्रदर्शन किया है। जैन समाज ने तीर्थ बचाओ रैली निकाली, साथ में मौन रहकर अपना विरोध दर्ज किया। मध्यप्रदेश के अलावा देश के कई राज्यों में एमपी सम्मेद शिखर के लिए जैन समाज सड़क पर उतरा, विरोध में बंद प्रतिष्ठान, निकाली रैली है।
कई नेता बोल चुके हैं
जैन समुदाय के समर्थन में कई नेता भी आए हैं। इस मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मदे शिखर की स्थिति को बनाए रखने का समर्थन किया था। जैन समाज को नुकसान देते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड के नौकरी से इस संबंध में वो चर्चा करेंगे। वहीं पूर्व बीजेपी की नेता उमा भारती ने कहा कि जैन समाज सिर्फ देता है। वे कभी कुछ मांगा नहीं है। आज समाज के संतों की तपस्या के स्थान को सुरक्षित रखने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में केंद्र सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए।