कबीरधामछत्तीसगढ़

प्रदेश भर में हजारों की संख्या में भेड़, बकरियां एवं ऊंट वनोपज को चट रहे हैं, इन पर जुर्माना ठोकते हुए प्रदेश से बाहर किया जाए: वरिष्ठ पत्रकार बृजलाल अग्रवाल

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा वन मण्डल में 25 वर्ष बाद गुजरात से आए ऊंट भेड़ बकरीयो के चरवाहे पर वन मण्डल अधिकारी श्री चूड़ामणि सिंह वन अधिनियम 1927 की धारा 26 एवं 33 की कार्यवाही कर तरेगांव वन परिक्षेत्र से उन्हे बाहर का रास्ता दिखा दिया सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार श्री बृजलाल अग्रवाल ने धन्यवाद देते हुए निरंतर इस प्रकार की कार्यवाही करने की आपेक्षा की, चुकि प्रति वर्ष बरसात की मौसम में वनांचाल में डेरा डाल लेते है।

श्री अग्रवाल ने कहा कि वन वन अधिनियम 1927 की धारा 26 एवं 37 के तहत् भेड़-बकरियों को राजसात किया जा सकता है, एवं न्यालय को अधिकार है कि एक वर्ष की कैद एवं जुर्मना या दोनों कर सकता है । अतः कार्यवाही की गई वह इनको रोकने हेतु पर्याप्त नहीं, लगभग 25 वर्ष पूर्व यहाँ वन मंडलाधिकारी B.M. मायीरया की उदासीनता के कारण जिला पुलिस अधीक्षक श्री पंकज श्रीवास्तव के निर्देशन में एवं अनुविभागीय अधिकारी ( वन ) सिलभद्र की लगातार कार्यवाही से उन्होंने कवर्धा वन मण्डल छोड़ दिया।

जिसकी एक हफ्ता तक की इस काफिले की लाईन लगी रही वन अधिनियम 1927 में पुलिस अधीक्षक को अधिकार दिए है जब संबंधित वन मण्डल अधिकारी अवैध वन चराई एवं कटाई में उदासीन हो हमारे प्रदेश में इनका अवैध प्रदेश होने के कारण फर्जी अधिवहन अनुज्ञप्ति की मध्यप्रदेश 16 अधिनियम 1986 के नियम 6/2 के विपरीत बनवाकर एक ही जगह में महीनों डेरा डाल लेते है।

एवं चराई को रसीद (POR) भी लेते है, जिसकी रकम का आँकलन किया जाए तो ऊंट के मुह मे जीरा के बराबर है अतः वन मंत्रालय को चाहिए इनके जीतने भी झुंड है 10 हजारों की संख्या में ऊंट, भेड़, बकरी वन प्लांटेशन के अतिरिक्त वनोंपज चरोटा, नहडारा, वन तुलसा, बांस, आंवला आदि अनेक प्रजाति को चट कर जाते है जो कि प्राकृतिक रूप से पैदा होती है जिन पर वन वासियों का अधिकार है ।अतः इन्हे वापस हमारे प्रदेश से बाहर कर दिया जावे। ताकि वन पर्यावरण एवं जल की अपूर्णीय क्षति से बचा जा सके ।
मामला जनहित का है..

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page