बच्चों के साथ समय बिताने के साथ-साथ उन्हें अच्छी आदतें सिखाना और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना भी पेरेंट्स की रिसपॉन्सिबिलिटी (बुनियादी जिम्मेदारी) है। कई बार माता-पिता बच्चों को लेकर इतने ओवर प्रोटेक्टिव हो जाते हैं कि उनकी हर काम में मदद करते हैं। जिन्हें हम मदद कहते हैं, बताएं वो चीजें, बच्चों की मेंटल (मानसिक विकास) का प्रभाव करती हैं। पेरेंट्स दिन भर में ऐसी कई बातें करते हैं, जो बच्चों का कॉन्फिडेंस को कम कर सकते हैं। इसलिए अगर आप अपने बच्चे को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना चाहते हैं, तो इन 5 स्टार्टअप से बचना जरूरी है।
वो 5 गलतियां जिससे पेरेंट्स को बचना जरूरी है
1. कुछ नहीं हुआ तुम ठीक हो
अगर बच्चा गिर गया है और उसे चोट आई है, तो सबसे पहले उसे देखें और उसकी डॉक्टरी जांच कराओ। ये कहते हैं कि तुम ठीक हो, कई बार बच्चे का मनोबल बढ़ाने की जगह उसे आपसे दूर कर सकता है। वो ये समझ रहा है कि माता-पिता उस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और उसे महत्व नहीं दे रहे हैं। जाहिर है कि आप बचपन से यही सुन रहे हैं, लेकिन उसी बात को अपने बच्चों पर लागू करना सही नहीं है। उसका अच्छा दोस्त बनता है और उससे जुड़ी हर समस्या को ग्रेब्रिएट्स से लेता है।
2. आरे गिर गोगे
अक्सर बच्चे खेलते हुए देखकर कई बार हमें डर लगता है। ज़हर लग जाता है कि कहीं बच्चा झूम कर गिर जाए, कहीं गेंद न लग जाए या कहीं वो धूप में बीमारी की चपेट में आ जाए। ओवर प्रोटेक्टिव पैरेंटस बच्चों के रहस्य अनजाने में अपराध कर रहे हैं। अगर गिरेंगे तभी संभलना आएगा। माता पिता को कुछ देर को बच्चों को अकेला छोड़ देना चाहिए, ताकि वो अपने मन के अनुसार खेल सके। आप उन्हें मॉनिटर ज़रूर करें। मगर वे खेलते रहे दखलाअंदाज़ी करने से बचें। इस बात को खोजा जाना चाहिए
3. ज्यादा मत खाओ, मोटापा आ जाएगा
बच्चा दिन भर पटकते रहते हैं, जिस समय उन्हें भूख लगती है। अगर बच्चा आपसे खाने की डिमांड कर रहा है, तो आपको उसे मना करने की जगह हेल्दी फूड देना चाहिए। दूध, शास्त्र, बकवास फल, पत्तेदार दृष्टिकोण, धारणाएं, दही, दही और लस्सी बच्चों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। बच्चे की डाइट को अपने खान पैन से कंपेयर न करें। बच्चों को हेल्दी रेसिपीज़ दें। इसके अलावा बच्चों को खाने के लिए हर चीज का टोकरा बंद कर दें। कभी-कभी उन्हें बाहर खाना खाने से रोकते हैं। मगर रूटीन में शामिल न हों। बच्चों को एक बार में ज्यादा पढ़ने की जगह छोटे मील दिन में 5 से 6 बार दे सकते हैं। यदि आप घबराहट को लेकर चिंता है, तो डॉक्टर से इसके लिए सलाह ज़रूर लें।
4. कोई काम ठीक से नहीं करते
बच्चे को जब भी कोई काम करें, तो उन्हें ज़रूर सरहें। अगर बच्चा कुछ गलत करता है, तो उसे डांटने या मारने की जगह उसके सिचुएशन को समझें। उसकी लाइकिंग और डिसलाइकिंग की रणनीति अपनाएं। ये समझें कि बच्चा क्या चाहता है। वह बार-बार ये कहता है कि तुम ठीक से कोई काम नहीं कर पाओगे यानी तुम उसे बार-बार समझा रहे हो कि तुम भी कुछ ठीक नहीं कर पाओगे। इसके बदले बच्चे के साथ बैठें, समय चुनें और उसे गलती से प्यार से समझा दें, ताकि अगली बार जब भी वो काम करे, तो आपकी सिखाई बातें, उसे हर समय याद रखें।
5. नीला ये काम मैं देता हूं
ये देशांतर आप उसे तुरंत होने से रोक रहे हैं। अगर आप हर घंटे घूमेंगे, तो बच्चा हर क्षेत्र में आपके सपोर्ट को ही ढोढेगा। जाहिर है कि माता-पिता हर समय और हर जगह बच्चों के साथ नहीं देखते हैं। अगर आप बच्चों की क्रेडिट करना चाहते हैं, तो उन्हें रिस्पॉन्सिबिलिटी देना शुरू करें। वे धीरे-धीरे जिम्मेदार बनते हैं। इससे वो आपकी एबसेंस में आसानी से चीजों को कमाई करना सीख जाएंगे। अगर आप उनके स्कूल प्रोजेक्ट से लेकर उनकी हर जरूरत को पूरा कर रहे हैं, तो इससे बच्चा धीरे-धीरे काम से चुराया जाएगा, जो आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
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