साल 2022 खत्म होने में अब बस कुछ ही दिनों में नींद से बचाव है। इस साल पूरी दुनिया के लिए रोलर कोस्टर की सवारी जैसा रहा। कहीं विरोध प्रदर्शन देखने को मिले, तो कहीं आर्थिक संकट नियंत्रण से हट गया। जिसके कारण इन देशों में काफी हिंसा और आगजनी भी देखने को मिली है। दस्तावेज ऐसी ही बड़ी-बड़ी घटनाओं के बारे में बात कर लेते हैं।
रूस-यूक्रेन का युद्ध
रूस और यूक्रेन में जंग को दस महीने हो गए हैं
इस साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर पहला हमला किया था। जिसके बाद से ये लड़ाई अभी तक जारी है। इसमें हजारों की संख्या में दोनों तरफ के सैनिक मारे जा रहे हैं। यूक्रेन के हजारों रूसी नागरिक हमले में मारे गए। हमलों से अपने संबंधों और संबंधों को छोड़कर लाखों जापानी लोगों को दूसरे देशों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। रूस ने बम, रॉकेट और मिसाइल हमलों से पूरे यूक्रेन को समझौता कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया भर के देशों में इसे लेकर रूस की निंदा हुई है। उस पर अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि भारत ने इस मामले में दोनों तरफ से शांति से बातचीत कर युद्ध खत्म करने का आह्वान किया है।
ईरान में हिजाब का विरोध
ईरान में विरोध प्रदर्शन हुए
मुस्लिम देश ईरान में महिलाएं हिजाब की अनिवार्यता के साथ चढ़ाई पर उतरीं। पुरुषों ने भी उनका काफी साथ दिया। इस देश में 22 साल की कुर्द महिला महासा अमीनी की 13 सितंबर को मोरैलिट पुलिस की हिरासत में मौत हो गई थी। पुलिस ने उसे फिट से हिजाब नहीं पहनने की वजह से जमा लिया था। जिसके बाद लोगों ने हिजाब का विरोध करना शुरू कर दिया। बहुत सी महिलाओं ने अपने बाल काटे और हिजाब जलाए। सरकार को आखिरकार मोरेलाइट पुलिस की इकाइयों को भंग करना पड़ा। सरकार के लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद डरी हुई नजर आई। क्योंकि ये प्रदर्शन देश के लगभग सभी शहरों और कस्बों में फैला हुआ था। सुरक्षा फोर्सेस ने प्रदर्शन को शांत करने के लिए लोगों पर एक्शन की। हजारों की संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया। सैकड़ों की मौत हो गई। और हाल में ही करीब दो लोगों को फांसी की सजा दी गई है।
पाकिस्तान में हकीकी स्वतंत्रता रैली और प्रदर्शन
पाकिस्तान में हकीकी आजादी रैली निकली
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी कुरसी जाने का आरोप अमेरिका पर लगाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका एक-दूसरे को पैसा देकर उनके खिलाफ साजिश रच रहा है। इसके बाद उन्होंने जल्दी चुनाव की मांग को लेकर हकीकी स्वतंत्रता रैली का आयोजन किया। इसी एक रैली के दौरान उनका पैर गोली से लग गया। साथ ही शूटिंग में उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के कई नेता भी घायल हो गए। वे खुद पर हमले के लिए सेना के अधिकारी, प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह को जिम्मेदार ठहराते हैं। इस दौरान जमकर विरोध प्रदर्शन भी देखें। सत्ता पक्ष के खिलाफ बढ़ते हुए इमरान खान के बंधनों को देखकर शाहबाज सरकार ने अब उनके साथ बातचीत करने का फैसला लिया है।
श्रीलंका में छाया आर्थिक संकट
श्रीलंका में आर्थिक संकट आया
श्रीलंका में इस साल आर्थिक संकट को मिला। आजादी के बाद इस देश ने अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना किया है। सरकार के पास लोगों की जरूरत पूरी करने तक के पैसे नहीं बचे थे। जिसके चलते यहां बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इस हिंसा के दौरान आगजनी और लूटपाट की घटनाएं हुई थीं। यहां तक कि देश के अस्पष्ट राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे तक देश छोड़कर सिंगापुर भाग गए थे। लोगों ने राष्ट्रपति भवन में काफी उत्पात मचाया। बाद में स्थिति को नियंत्रण करने के लिए सरकार में बदलाव किया गया।
अफगानिस्तान का बंदोबस्त शासन
अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति बनी हुई है
अफगानिस्तान का दुर्भाग्य भी इस साल के दिशानिर्देश में छाया रहा। तालेबंद बेशक पिछले साल अगस्त महीने में पश्चिमी देशों की समर्थक सरकार को गिराकर खुद सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। जिसके बाद अमेरिका ने अनिश्चितकालीन फंड को फ्रीज कर दिया था। इसके साथ ही देश को मिलने वाला विदेशी मदद भी बंद हो गया। इसके चलते देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई। लोगों को दो घंटे की रोटी के लिए उनके बच्चे दवा देकर सुला रहे हैं। जबकि कई लोगों ने पैसों के लिए अपनी बेटियों को बेच दिया है। हालांकि भारत की तरफ से इस देश को मानवीय सहायता के तौर पर जेनहू समेत अन्य जरूरी सामानों की बड़ी खेप पहुंचाई गई है।