शीत युद्ध के दौरान विश्व में दो गुट टूट गए थे। उस दौरान दो महाशक्तियाँ अमेरिका और सोवियत संघ का एक-दूसरे से उप-अधिकारी होने की स्थिति में थी। सोवियत संघ के घटनाक्रम के साथ ही अमेरिका वर्ल्ड की सबसे बड़ी बिजली के रुपये में उछाल आया।
शीत युद्ध के दौरान विश्व में दो गुट टूट गए थे। उस दौरान दो महाशक्तियाँ अमेरिका और सोवियत संघ का एक-दूसरे से उप-अधिकारी होने की स्थिति में थी। सोवियत संघ के घटनाक्रम के साथ ही अमेरिका वर्ल्ड की सबसे बड़ी बिजली के रुपये में उछाल आया। भले ही सोवियत संघ का विक्षोभ हो गया हो लेकिन रूस और अमेरिका के बीच तनाव आज तक खत्म नहीं हुआ है। 1991 के बाद रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद ये तनाव अपने चरम पर दिखा। अब भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहे हैं। नई दिल्ली में सभी विदेशमंत्रियों के साथ जुड़कर चल रही है लेकिन दोनों देशों के बीच की कट्टा यहां पर भी देखने को मिले हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा आयोजित जी20 विदेश मंत्री के उद्घाटन में शामिल नहीं हुए। रूस-यूक्रेन युद्ध के मैदान में भारत के इन डिनर में भी वाशिंगटन और मास्को के बीच की कड़वाहट देखने को मिली।
ब्लिंकन के देर रात नई दिल्ली पर अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि अमेरिका ग्लोबल ग्लोबल के लिए कार्रवाई-उन्मुख समाधान प्रदान करने के लिए भारत की जी20 अनुबंधों का उद्देश्य समर्थन करता है।अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित आदेश के लिए रूस का विरोध, अधिसूचित नहीं कर सकते। एकतरफा दृष्टिकोण और शरीर सहित, यूक्रेन के खिलाफ अपने अकारण और अन्यायपूर्ण युद्ध के लिए अमेरिका रूसी संघ को जिम्मेदार ठहराना जारी रखता है। यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन करता है।
अमेरिका ने कहा रूस के यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण से उपजी अपार मानव हित का समाधान करने के लिए अमेरिका G20 और अन्य अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ रणनीतियां जारी की जा रही हैं, विशेष रूप से क्रेमलिन के दावों के युद्ध का खतरा वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर पड़ा है। G20 अनाज वितरण के लिए बहुत अधिक मात्रा में फिर से खोलने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के जवाब में विफल रहने के लिए अब रूस को जवाब देना चाहिए। इन समूहों का सामना करने का उत्तर लगभग अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्पष्ट संकल्प है कि यह सुनिश्चित किया जाता है कि इस तरह की लापरवाही अनियमित नहीं हो। हमें उन लोगों को जवाब देना चाहिए; युद्ध छेड़ने के दौरान क्रेमलिन के साथ हमेशा की तरह व्यापार में कोई वापसी नहीं हो सकती है।
मॉस्को ने अपने बयानों में कहा, “हम एकीकृत एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए भारत के जी20 प्रेसीडेंसी के कामकाज का समर्थन करते हैं जो बहुपक्षीय ग्लोबस में बहाल होगा और वैश्विक उद्योग के विखंडन को रोकेगा।”
दिल्ली में 2 मार्च को जी -20 की बैठक हुई और तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें सबसे प्रमुखता से बात है रूस-यूक्रेन विवाद हुआ। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर के कई देशों के समकक्षों के साथ मुलाकात भी होगी। नई दिल्ली ने कहा कि रूस-यूक्रेन विवाद विचार-विमर्श का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा, “रूस-यूक्रेन संघर्ष की प्रकृति और विकसित स्थिति को देखते हुए, यह स्वाभाविक रूप से जी20 विदेश मंत्री की बैठक के दौरान चर्चा का एक महत्वपूर्ण बिंदु होगा। क्वात्रा ने कहा कि नेता रूस-यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा करेंगे, और नोट किया कि भोजन, ऊर्जा और समाधान सुरक्षा पर टकराव का प्रभाव भारतीय राष्ट्रपति पद के लिए प्रमुख पहलुओं में से एक होगा। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए जी20 विदेश मंत्री की बैठक के पूर्व-आंकलन करना सही होगा। हम बहुत स्पष्ट हैं कि विदेश मंत्रियों को उन सभी समझौतों पर ध्यान देना चाहिए जो वर्तमान में वैश्विक संदर्भ में प्रासंगिक हैं।