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सुप्रीम कोर्ट ने ED को दी चेतावनी, “आपके अधिकारों के साथ-साथ जनता के अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं”

UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि अगर ED के पास अपने मूल अधिकार हैं, तो आम जनता के भी ऐसे ही अधिकार होने चाहिए। यह टिप्पणी उस वक्त आई जब ED ने छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम में हुए घोटाले की जांच दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि आर्टिकल 32 के तहत याचिका तभी स्वीकार की जा सकती है, जब किसी के मूल अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो। अदालत ने यह भी कहा कि ED को जनता के अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए। इसके बाद, ED ने अपनी याचिका वापस लेने का निर्णय लिया।

यह मामला 2015 से जुड़ा है, जब नागरिक आपूर्ति निगम में चावल की खरीद और वितरण में बड़े पैमाने पर घोटाले का आरोप लगा था। ED का कहना था कि छत्तीसगढ़ की आपराधिक न्याय प्रणाली जांच में हस्तक्षेप कर रही है और गवाहों को धमकाया जा रहा है। इसके कारण एजेंसी ने इस मामले की जांच दिल्ली में स्थानांतरित करने की मांग की थी।

ED ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार में बदलाव के बाद जांच में रुकावट आई, और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी सहयोगी रहे पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा को अग्रिम जमानत मिल गई, जिससे जांच प्रभावित हुई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ED की याचिका पर सवाल उठाए, और अंत में एजेंसी को अपनी याचिका वापस लेने का निर्णय लेना पड़ा।

इस घटनाक्रम ने यह भी स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने संस्थाओं को भी याद दिलाया कि उनका कर्तव्य केवल अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों के संरक्षण के लिए भी है।

 


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