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कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धरमैया का अजीबोगरीब बयान, कहा ‘मैं हिंदुत्व का विरोधी’, जानिए और क्या कहा?

सिद्धारमैया - इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: फ़ाइल
सिद्धारमैया

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि हिंदू होने के बाद भी वे हिंदुत्व के विरोधी हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अयोध्या में राममंदिर का उन्होंने कभी विरोध नहीं किया, लेकिन वे राजनीतिक लाभ के लिए उनके विरोधी जाने के विरोधी हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कर्नाटक के ग्रामीण इलाकों में उन्होंने कई राम मंदिर बनवाए।

एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा कि अयोध्या में राममंदिर का उन्होंने कभी विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘क्या कभी हमने राममंदिर का विरोध किया। हमारा ऐतराज बस राजनीतिक लाभ के लिए मंदिर का उपयोग करने को लेकर है। उसके अन्य धर्मालंबियों के मित्रवत संबंध नहीं होने चाहिए। भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए उसका उपयोग कर रही है।’

सिद्धरमैया ने यहां हाल से कहा, ‘मैं हिंदू हूं। मैं कैसे हिंदू विरोधी हो सकता हूं? मैं हिंदुत्व और हिंदू धर्म के इर्द-प्रजा की राजनीति के विरोधी हूं। भारतीय संविधान के अनुसार सभी धर्म समान हैं।’ वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इस आरोप के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे हैं कि वे हिंदू विरोधी हैं। भाजपा विधायक सी टी रवि ने सिद्धरमैया को ‘सिद्धरमैया खान’ कहा था। सिद्धरमैया ने यह कहते हुए इसकी आकांक्षा की कि यह उनकी छवि की पुष्टि करता है।

सिद्धरमैया ने कहा कि भारत की बहुविध धार्मिक संस्कृति है जहां हर व्यक्ति को साथ लिया जाना चाहिए और हर व्यक्ति को इंसान के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान भी यही कहता है और हमें उसका पालन करना चाहिए। विधानसभा के सबसे बड़े नेता सिद्धरमैया ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस हमेशा उन लोगों के विरोधी रही है जो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं तथा जाति एवं धर्म के आधार पर राजनीति करते हैं।

जब उनसे स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका पर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा प्रश्नपत्र जाने से संबद्ध बयानों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा और आरएसएस से किसी ने भी भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया। । सिद्धरमैया ने कहा कि आरएसएस 1925 में अस्तित्व में आया और केशव बलिराम हेडगेवार आरएसएस के संस्थापक थे और बाद में माधव सदाशिव गोलवलकर ने अपने पहचान की। कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने किया सवाल, ‘क्या उनमें से किसी ने या अधिकारियों ने स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा लिया? स्वतंत्रता आंदोलन उस समय चरम पर था। व्हाट वे उस संघर्ष में भाग लिया। नहीं।’

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