
नमस्कार ! यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ एशिया के चुनावी लेखांकन के क्रम “किस्सा कुर्सी का” में आप सभी देवतुल्य पाठकों का स्वागत है…
हम आपको आज एक अहम खबर से रूबरू कराने जा रहे है । यह खबर भाजपा संगठन की कमान संभालने वाले प्रदेश प्रभारियों से जुड़ी है। साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ बना तब से लेकर अब तक इन चौबीस सालों में भाजपा के दर्जनभर प्रदेश प्रभारी रह चुके हैं। इसमें सबसे खास ये है कि जो भी छत्तीसगढ़ का चुनाव या प्रदेश प्रभारी बना उसका सियासी करियर बुलंदियों पर जा पहुंचा। यानि छत्तीसगढ़ इन नेताओं के लिए भाग्य विधाता साबित हुआ है।
भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ भाग्य विधाता बनने की शुरुआती कहानी प्रधानमंत्री मोदी हैं की है। वक्त था छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद विपक्ष में बैठी भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष चुनने का। यह जिम्मा सौंपा गया नरेंद्र मोदी को। मोदी ने छत्तीसगढ़ को पहला नेता प्रतिपक्ष आदिवासी नेता नंदकुमार साय को चुना। मोदी छत्तीसगढ़ से लौटे और अगले ही साल गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए और यहीं से उनकी सत्ता की सियासत का रास्ता खुलता गया। यानि मोदी के लिए छत्तीसगढ़ भाग्य विधाता साबित हुआ।
छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए लकीगढ़ कहना चाहिए। जो यहां आया उसने पाया और पाया। फिर वह मोदी हों, राजनाथ सिंह हों या मौजूदा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ही क्यों न हों। बीजेपी को देश की सत्ता देने में छत्तीसगढ़ ने अहम् भूमिका निभाई..
राजनाथ सिंह- दो बार के राष्ट्रीय अध्यक्ष। छत्तीसगढ़ के प्रभारी बने। भाजपा को चुनाव जिताया। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनवाया। दिल्ली वापस लौटे तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। अभी केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री हैं। यानि राजनाथ सिंह के सियासी करियर में छत्तीसगढ़ भाग्य विधाता बना।
जेपी नड्डा- पार्टी के प्रदेश प्रभारी बने। संगठन में कसावट की। अपनी सरकार में सही बुनावट की। दिल्ली लौटे तो पहले हिमाचल में सीएम पद के दावेदार बने, फिर मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बन गए स्वास्थ मंत्री और दूसरे कार्यकाल में मिली राष्ट्रीय अध्यक्ष की अहम जिम्मेदारी। यानी इनके लिए भी छत्तीसगढ़ भाग्य विधाता साबित हुआ।
धर्मेंद्र प्रधान- पार्टी ने छत्तीसगढ़ भेजा। चल रही सरकार के साथ संगठन को संवारने। लौटे तो पहले लगा सियासी सफर डंवाडोल हुआ, लेकिन मोदी 2.0 आते-आते सरकार में अहम होते चले गए। अब ताकतवर मंत्रियों में शुमार हैं। ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले प्रधान का गुड लक ओडिशा विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी नजर आ रहा है। यानि प्रधान के लिए छत्तीसगढ़ डबल भाग्य विधाता सिद्ध हुआ।
अनंत कुमार, प्रकाश जावडेकर, रविशंकर प्रसाद, अनिल जैन, डी पुरंदेश्वरी, ओम माथुर, मनसुख मांडविया और अब नितिन नबीन..
यह सब वे चेहरे हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ भाजपा को मजबूत बनाने में अहम रोल अदा किया है। रविशंकर प्रसाद मोदी 1.0 में पावरफुल मंत्री रह चुके हैं। बिहार चुनावों के अपेक्षित नतीजों की स्थिति में प्रदेश की सियासत में मुखिया के मजबूत दावेदार हैं। डी पुरंदेश्वरी को आंध्रप्रदेश प्रदेश अध्यक्ष की अहम जिम्मेदारी के साथ 2024 के चुनावों के लिए लोकसभा का टिकट दिया गया है। मनसुख मांडविया छत्तीसगढ़ जिताकर मोदी 3.0 में अहम और मजबूत बनकर उभर सकते हैं।
नितिन नबीन हाल ही में बिहार में मंत्री बने और अब छत्तीसगढ़ के चुनाव प्रभारी बना दिए गए। ओम माथुर का नाम पार्टी में बड़े चेहरों के साथ लिया जा रहा है। 24 साल के छत्तीसगढ़ में भाजपा ने दर्जनभर प्रदेश प्रभारी या चुनाव प्रभारी बनाए हैं। छत्तीसगढ़ इन सबके लिए ही राजनीतिक रूप से भाग्य विधाता ही साबित हुआ है।
भाजपा की तरफ से प्रदेश या चुनाव प्रभारी बनाए गए ज्यादातर नेताओं का दिल्ली लौटकर करियर चमका है। जून में पार्टी अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनेगी। दौड़ में जो चेहरे नजर आ रहे हैं, उनमें ओम माथुर, धर्मेंद्र प्रधान, बीएल संतोष समेत अनेक चेहरे हैं।
अगर इनमें से कोई चुना जाता है तो इन भाजपा नेताओं के लिए भी छत्तीसगढ़ भाग्य विधाता बन जाएगा..
UNA “किस्सा कुर्सी का” में सियासत के किस्से अभी बाकि हैं …
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