ऐप पर पढ़ें
चीन में तानाशाही राज का विस्तृत इतिहास रहा है। भारत के इस पड़ोसी मुल्क में इस घड़ी ने जिनपिंग की सरकार है। शी जिनपिंग लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बने हैं। वो वक्त चीन के सबसे ताकतवर नेता हैं और अपने विचारों में कईयों को मौत की सजा दिलवा देते हैं तो कईयों को साइड करके अपने खतरे दूर कर लेते हैं। हम यहां बात कर रहे हैं चीन के सबसे क्रूर तानाशाह माओ जेडोंग (Mao Zedong) की। इस तानाशाह को माओत्से तुंग के नाम से भी जाना जाता था। भारत-चीन के बीच हुआ 1962 का युद्ध माओ की ही सनक था। वो भारत को सब सिखाना चाहता था। इस तानाशाह का एक किस्सा बेहद दिलचस्प है, जब देश के पहले उपाध्यक्ष सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने माओ के गाल को थपथपाया। जिससे वो तिलमिला गए। फिर क्या हुआ
सबसे पहले चीन के इस तानाशाह के बारे में विदेशी-गरीब विरोधियों के बारे में जानते हैं। माओ जेडोंग के डॉक्टर ज़ी शी ली ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक ‘द प्राइवेट लाइफ़ ऑफ़ चेयरमेन माओ’ में खुलासा किया था कि उन्होंने अपना जीवन कभी नहीं बदला। वो रोज-रोज का विवरण देते थे। इस वजह से उनके दांतों में काई जम गई थी। मानो- दातों पर हरे रंग का पेंट हो। इसके अलावा उन्हें नहाने से सख्त द्वेष था। वो मुश्किल से महीने में तीन या चार बार ही नहाते थे।
दिन में सोना और रात भर काम
माओ की एक और अजीब आदत थी। वो दिन में सिर्फ सोया करते थे और पूरी रात जगकर काम करते थे। जब भी किसी देश का कोई नेता उनसे मिलने आता है तो वो रात को ही मिलते थे। इसके अलावा माओ का किसी से भी मिलने का समय नहीं था। जब मन हुआ वो अचानक बुलाए थे, मानो उपकार रहे हों। माओ अपने सारे कामकाज खास पलंग पर ही करते थे। उन्हें अपने पलंग से इतना प्यार था कि वो अपनी विदेश यात्रा के दौरान भी अपनी पलंग लेकर आते थे। उन्हें किसी दूसरे पलंग पर आराम नहीं मिलता।
जब भारत के उपराष्ट्रपति ने गैल थपथपाया
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 1957 में देश के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन के दौरे पर गए थे। वहां माओ ने अपनी अगवानी की। मुलाकात के दौरान सर्वपल्ली ने माओ के गाल को थपथपाया। अचानक हुई इस घटना ने माओ को क्रोधित कर दिया। इससे पहले माओ कुछ बोलते हैं। राधाकृष्णन ने तपाक से कहा- जुड़ता मत हूं, मैं ऐसा स्टालिन और पोप के साथ भी कर चुका हूं। माओ चुप हो गए।
इसके बाद में खाने के खर्चे माओ नेरारत की और राधाकृष्णन की प्लेट पर अपनी प्लेट में सेस्टिक्स रखे। माओ नहीं जानते थे कि वे शाकाहारी हैं। लेकिन, राधाकृष्णन ने उन्हें इसका आभास भी नहीं होने दिया।