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गर्भावस्था की पहली तिमाही में बढ़ता है यूरिन इन्फेक्शन का खतरा, जानें कैसे करें अपनी प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में बढ़ जाती है यूरिन इंफेक्शन का खतरा, जानें इस दौरान कैसे करें अपना बचाव

गर्भावस्था के दौरान मूत्र संक्रमण- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: इंडिया टीवी
गर्भावस्था के दौरान मूत्र संक्रमण

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को यूरिनरी इंफेक्शन होने का खतरा बहुत अधिक होता है और इसमें सबसे अधिक खतरा पहली तिमाही में रहता है। एक खोज के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले यूरिनरी इंफेक्शन में से 41% पहली तिमाही में होते हैं। इंफेक्शन होने की सबसे अधिक संभावना प्रेग्नेंसी के 6 सप्ताह से लेकर 3 महीने के बीच रहती है। यह डैमेज बहुत जरूरी है जिससे किसी भी समय लाइव इलाज के लिए मैप माँ और होने वाले बच्चे को होने वाले नुकसान को कम-से-कम किया जा सकता है। एशियन हॉस्पिटल की प्रमुख प्रसूति एवं विशेषज्ञ रोग विशेषज्ञ डॉ. सोनम गुप्ता बता रहे हैं कि इस प्रग्नेंट माएं के दौरान अपना ख्याल कैसे रखें।

2 तरह के होते हैं यूरिन इंफेक्शन

डॉ. सोनम गुप्ता कहते हैं, ”प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले यूरिनरी इंफेक्शन 2 दुर्घटना के होते हैं – एक एसिम्प्टोमैटिक यानी ऐसे इंफेक्शन वाले लक्षण दिखाई नहीं देते और दूसरे सिम्प्टोमैटिक ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं। बार-बार पेशाब लगना, बेहद तेज पेशाब लगना, पेशाब करने में परेशानी महसूस होना, पेट के निचले हिस्सों में तेज दर्द या ऐंठन, पेशाब करते हुए जलन महसूस होना, पेशाब का रंग मटमैला होना या इसमें तेज स्रावी गंध होना और पेशाब में खून इसके चलते इसका रंग लाल, गहरा गुलाबी या कोला का रंग होना आदि ऐसे लक्षण हैं जो यूरिनरी इंफेक्शन की तरफ इशारा करते हैं। प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में सबसे बड़ा खतरा एसिम्प्टोमैटिक यूरिनरी इंफेक्शन का है जिसमें पेशाब में बैक्टेरिया होता है, ब्लैडर में मौजूद होते हैं इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसलिए न तो इंफेक्शन का कोई शक होता है और न ही ब्लैडर की अल्ट्रासोनोग्राफी में ही इंफेक्शन का पता चलता है। पर, एसिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन तुरंत जल्दी से न केवल सिम्पटोमैटिक इंफेक्शन बन सकता है बल्कि किडनी के इंफेक्शन में भी बदल सकता है। इस तरह एसिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन बेहद ज्यादा खतरनाक बन जाता है।”

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यूरिन कल्चर टेस्ट ज़रूर करवाएं

इसे समझ रहे हैं डॉक्टर डॉ. सोनम गुप्ता सलाह देते हैं कि चाहे यूरिनरी इंफेक्शन के लक्षण हों या न हों, प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में अनिवार्य रूप से यूरिन कल्चर टेस्ट करवाना चाहिए। इससे संबंधित रिश्ते में बैकटेरिया की मौजूदगी का पता चल सकता है और टाइम लाइव ही दवाई के जरिए बैकटेरिया को न केवल खत्म किया जा सकता है बल्कि सिम्पटोमैटिक यूरिनरी इंफेक्शन या फिर किडनी इंफेक्शन की संभावनाओं को भी खत्म किया जा सकता है।

डॉक्टर की सलाह से सलाह लें

एसिम्प्टोमैटिक यूरिनरी इंफेक्शन के लिए दवाईयां डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान जाने वाली दवाएं अलग होती हैं। पहली तिमाही में यूरिनरी इंफेक्शन के इलाज के लिए डॉक्टर ऐसी दवाई ही देते हैं जो होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई गलत असर नहीं करते हैं। साथ ही दवाई तय करने से पहले डॉक्टर महिला में यूरिनरी इंफेक्शन के इतिहास और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेते हैं।

ऐसा सावधानी

आपको बता दें सावधानी और जीवन में अनुशासन से इन कार्यों को कम भी किया जा सकता है। दिन में कम से कम 8 ग्लास पानी पीना, पेशाब करने के बाद अच्छे से पानी से टपकना, कॉटन के साफ और अस्पष्ट अस्पष्टता, टट टाइट कपड़े पहने से और शराब से बचना, तेल-मसाले के खाने में कैफीन की अधिक मात्रा वाले पेय पदार्थ जो ब्लैडर पर दबाव डालते हैं उनसे बचना- ये ऐसी कुछ सावधानियां हैं जिससे यूरिनरी इंफेक्शन होने का खतरा कम हो सकता है। इसके साथ ही सार्वजनिक शौचालयों के उपयोग से बचना चाहिए और घर के शौचालय की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

ये लेख डॉक्टर से बातचीत करके उपाय लिखा है, लेकिन किसी भी बच्चे से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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