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ब्लॉकबस्टर पठान कौन है शाहरुख खान के पीछे का असली हीरो दीपिका पादुकोण फिल्म आईमैक्स कैमरा भारत में पहली बार

पठान मूवी| 25 जनवरी को रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म ‘पठान’ ने यूं तो बहुत सारे रिकार्ड टूटे हैं, कई सारे नए रिकार्ड बनाए हैं और जारी कर रही है। बेशक ‘पठान’ आम फॉर्मूला फिल्म से बेहतर और अलग फिल्म है जो सब्जेक्ट के चयन में और तकनीक में भी है। लेकिन एक फॉर्मूला फिल्म ही है। इस तरह की फिल्‍मों में स्‍टार के रिज पर सवार होकर ही या तो बॉक्‍स ऑफिस पर सिक्‍के बरसाती हैं या फिर डब्‍बागुल हो जाते हैं। दोनों ही फोकस में स्टार की इमेज स्टेक पर होती है, फिल्म की कमाई तय करती है कि हीरो हिट या फ्लॉप हो जाता है। अब आरोपित पठान बॉक्‍स ऑफिस पर धमाल कर रहा है, सो शाहरुख खान को फिल्‍म की आशातीत सफलता के लिए क्रेडिट देने में हमें कोई गुरेज नहीं है। लेकिन?

लेकिन इस हद के लिए थोड़ी सा श्रेयसी एक खास ‘मशीन’ को भी बनती है। फिल्म बनाने की मशीन यानी कैमरे को, आईमैक्स कैमरे को। थिएटर में लंबे अरसे बाद तालियों ओर सीटियों की गूंज सुनाई दी, कहीं-कहीं तो पटाखे भी चले गए, बेशक ये शाहरुख के लिए थे, लेकिन एक ताली और एक सीटी तो आईमेक्स के लिए भी बनती है। ऐसा है क्या इस कैमरे में? और इस्‍तेमाल कर यशराज फिल्म्स ने कौन सा एरो मार लिया है? जापान अपर तकनीक की दुनिया में पैर पसारते हैं और आईमेक्‍स की विशेषज्ञता का जायजा लेते हैं। ये भी देखते हैं कि ये दूसरी तकनीक से किस तरह जुदा और श्रेष्ठ है।

दुनिया का सबसे बेहतरीन कैमरा
आईमेकस को दुनिया की सबसे बेहतरीन तकनीक माना जाता है, जिसका वजन 110-115 किलो के आसपास होता है। पूरी दुनिया में सिर्फ 26 ही आईमेक्स कैमरे हैं। इंडिया में एक भी नहीं है। यह लगभग छह करोड़ है। इसका उत्पादन बंद हो गया है और जिसके पास वो बिक नहीं रहा है इसलिए इसे सिर्फ किराए पर ही लिया जा सकता है। साढ़े से तीन लाख के होश से। हायर बहुत ज्‍यादा होने के कारण आज तक कोई भी फिल्‍म भारत में शूट नहीं की गई है। हो भी कैसे इतनी कीमत में फिल्‍म पूरी ही नहीं है। ‘पठान‘ पहली भारतीय फिल्म जो असली ‘आईमेकस डिजिटल’ पर शूट की गई है।

तकनीक की दुनिया से कदम-ताल
ऐसे माहौल में जब बॉलीवुड अपना सबसे बुरा दौर से गुजर रहा हो, हिंदी फिल्मों से स्टार्स का जलवा खत्‍म होने की वर्जिन पर हो, ऐसी विपरीत में रोमांटिक और चॉकलेटी हीरो की इमेज वाले सत्‍तावन साला शाहरुख के साथ एक्शन मूवी बना रही है, वो भी बहुत हिट मोटे कैमरे के साथ, पक्का हिमायत की बात है। अब आप ये कहते हैं कि ताली तो आदित्य चोपड़ा के लिए भी बजना चाहिए, क्यों नहीं, निश्चित रूप से बजना चाहिए, साथ ही निर्देशक सिद्धार्थ आनंद और सिनेमेटोग्राफर सच्चिथ पॉलोज सहित ‘टीम पठान‘ के लिए भी।
हम जो फिल्मों में फिल्म में देखते हैं वो पहले रील वाले तकनीक पर बनाते थे। बाद में कैमरा डिजिटाइज़ हो गया और फिल्म बनाना अपेक्षाकृत आसान भी हो गया। लेकिन ‘आईमेक्‍स 70 सच्‍चे’ कैमरा निर्माता दुनिया में वापस आ गए हैं। तकनीक की दुनिया में पीछे कदम करने से क्‍वालिट बेहतर कैसे होती है इसे मोटा-मोटा समझने की कोशिश करते हैं।

फिल्‍मों में तीन प्रारूप 35 सच, 70 सच और आईमेक्‍स पर बनते हैं। आईमेक्स के दो हिस्से हैं ‘आईमेक्स 70 शेयर’ और ‘आईमेक्स डिजिटल’। ‘आईमेक्स 70 सचाई’ वास्तविक चिह्न है और ‘आईमेक्स डिजिटल’ उसे कमतर है। 2008 में आईमेकस ने ट्रेडिशनल थिएटर्स के लिए अपने ब्रांड को एक्‍सटेंड करके ‘डिजिटल आईमेक्‍स’ बाजार में उतारा। यह एक लो कॉस्ट सिस्टम है जो आस्पेक्ट रेशो 1.90 इज टू वन के प्रॉजेक्टर्स को सपोर्ट करता है। जबकि ‘आईमेक्स 70 सच्चरित्र’ आस्पेक्ट रेशो 1.43 इज़ टू वन है। पठान डिजिटल आइकॉन पर शॉट लगाया गया है।

‘आईमेक्स 70 सच्चरित्र’ दुनिया भर में चुनिंदा फिल्‍मों में बनी हैं। दरअसल, यह कैमरा फिल्मों के लिए नहीं बना था बल्कि यह डाक्यूमेंट्री शूट करने के लिए बनाया गया था। हॉलीवुड डायरेक्टर क्रिस्टोफ़र नोलन ने सबसे पहली फ़िल्मों की शूटिंग में इसे अंजाम दिया था। 2008 में उन्नीस हॉलीवुड मूवी ‘द डार्क नाइट’ के कुछ सीन इस पर शूट किए गए थे। बाद में 2014 में नोलन ने ‘इंटरसेलर’ फिल्म के लंबे हिस्से को शूट किया था। इसके अलावा ‘ट्रांसफार्स: रिवेंज ऑफ द फालेन’ और ‘मिशन इम्पासिबल – घोस्‍त प्रोटोकॉल’ भी इसी पर बनी फिल्‍मों में हैं। ‘स्टार ट्रेक’, ‘बेटमेन’, ‘कैप्टन अमेरिका: सिविल वॉर’, ‘स्टार वार्स’, ‘एवेंजर्स-इन्फिनिटी वॉर’ और ‘एवेजर्स: एंड गेम’ के नाम भी इस संदर्भ में लिए जा सकते हैं। बता दें कि भारत में एक भी ‘आईमेक्स 70 संदेश’ फिल्म को दिखाने के लिए थिएटर नहीं है। हैदराबाद में कुछ समय के लिए एक ऐसा थिएटर ‘प्रसाद’ था। अब वो ‘आईमेक्‍स 70 सच्‍चे’ की फिल्‍में नहीं दिखाता है।

35 सच, 70 सच में क्या फर्क है
मूल: तीनों तरह के सेंसर इन दिनों प्रोफेशनल यूज कर रहे हैं, उनमें से पहले 35 सेंसर सेंसर आता है, फिर फुल फ्रेम सेंसर आता है, उससे ऊपर 70 सेंसर सेंसर और वह भी बड़ा आता है आईमेक्स कैमरा का सेंसर। सबसे बड़ा सेंसर इसी का है. असली हीरो यही सेंसर है।

आम भाषा में कहते हैं तो 35 टूटी-फूटी फिल्में जब हम थिएटर में देखते हैं तो ये फिल्म में परदे पर कम जगह पर घोर व्यंग्य दिखाई देते हैं। जबकि 70 सच में वर्टिकल स्टाइल में फिल्में फैलती हैं और परदे पर ज्यादा जगह घोरपन के कारण ज्यादा स्पष्ट और बेहतर क्वॉलिटी के अनुभव ऑडियंस को कराती हैं। लेकिन इसमें ऊपर-नीचे का हिसा खाली रहता है। जबकि ‘आईमेक्स 70 सच्चे‘ में ये खाली अपनी फिल्मों से भर जाती है, फिल्मों में हमें और बड़े आकार में दिखाई देते हैं। तकनीकी भाषा में इसे आस्पेक्ट रेशो कहते हैं आस्पेक्ट रेशो अर्थात पंक्ति-चौड़ाई। सिनेमास्कोप में यह रेशो 2.35 इज़ टू वन या 2.40 इज़ टू वन होता है जबकि आइमेक्स 70 सच्चे’ में यह रेशो 1.43 एज टू वन होता है। इस फिल्म में लार्ज स्केल दिखाई देते हैं और उनका एक्सपेरिमेंट मैजिक होता है। छोटा से छोटा सी चीज भी साफ दिखाई देती है।

आईमेक्स की पहली फिल्म ‘पठान’ क्यों
अगर ‘पठान‘ डिजिटल आईमेकस पर शूट पहली फिल्म है तो फिर ये क्यों कहा जाता है कि आईमेकस में रिलीज पहली फिल्म ‘धूम 3’ है। बाद में और मूवी भी इस श्रेणी में शामिल हुए। ये फिल्म विशेष रूप से सामने आने वाले कैमरे पर रिलीज नहीं हुई है। बल्कि ये फिल्म में आईमेकस फार्मेट को सपोर्ट करने वाले तकनीक पर शूट की गई हैं जिन्हें डी ट्रेड तकनीक से रिमास्टर्ड कर आईमेक्स में जारी किया गया है। इन फिल्‍मों में ‘बेंग-बेंग’, ‘बाहुबली: द कंक्‍लूजन’, ‘पद्मावत’, ‘गोल्‍ड’, ‘ठग्‍स ऑफ हिंदुस्‍तान’, ‘साहो’, ‘आरआरआर’, ‘केजीएफ चैप्‍टर 02’, ‘शमशेरा’, ‘ब्रह्मास्‍र’ , ‘पोन्नियन सेल्वन पीएस 1’ आदि शामिल हैं। आईमेकस स्मार्टफोन को सपोर्ट करने वाली तकनीक में एरी एलेक्सा आईमेक्स डिजिटल कैमरा जिसे ‘एरी एलेक्स 65’ के नाम से जाना जाता है, सबसे पॉपुलर कैमरा है। दूसरा कैमरा ‘फैंटम 65 थ्रीडी डिजिटल कैमरा’ है।

वैसे तो सभी कैमरा स्टोरी कहने में सक्षम हैं लेकिन आईमेक्स की बात ही अलग है। लेकिन सामग्री इससे भी ऊपर है और हमेशा रहेगी। आईमेकस हो या कोई और कैमरा, अंतत: हैं तो ये मशीन ही ये इंवेशन इंसान ने ही किया है और इनका इस्‍तेमाल भी उसका दिमाग ही करता है।

टैग: अभिनेता शाहरुख खान, बॉलीवुड हिट्स, बॉलीवुड फिल्में, मनोरंजन विशेष

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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