बो: कर्नाटक के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम कर रहे हैं। इन बातों में कांग्रेस के दाखिले और छात्रों में एक नई जान सी फुंक दी गई है। इसके बाद पार्टी अब अन्य राज्यों में भी ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद लगा रही है। जिसके लिए पार्टी आलाकमान ने तैयारी भी शुरू कर दी है। कर्नाटक में ऐतिहासिक जनादेश के साथ इस दक्षिणी राज्य के लिए कांग्रेस की रणनीतिकार सुनील कानूनगोलू को अब मध्य प्रदेश में इसी तरह के परिणाम आने का काम शुरू हो गया है।
पिछले साल मई में जिम्मेदारी ली गई थी
लॉगोलू को पिछले साल मई में कांग्रेस लाया गया था और तब से उन्होंने पार्टी के लिए एक रणनीतिकार के रूप में काम किया और कर्नाटक में सर्वे, चुनाव प्रचार, ब्राजील का फैसला करने और जीत की रणनीति बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लॉगोलू ने राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा में भी सहयोग किया था। उन्होंने पिछले साल 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक की यात्रा की थी। पार्टी नेताओं के मुताबिक, ज्यादातर पर्दे के पीछे रहने वाले कानूनगोलू ने दक्षिणी राज्य की हर विधानसभा सीट के लिए रणनीति तैयार की है।
कांग्रेस के रणनीतिकार सुनील कानूनगोलू
उनकी रणनीति भाजपा और जद (एस) को घेरने की थी, ताकि कर्नाटक के प्रतिस्पर्धी त्रिकोणीय न हो जाएं और पार्टी के पक्ष में काम करें। पार्टी नेताओं के मुताबिक, लॉगोलू बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के खिलाफ अभियान जैसे रेट कार्ड जारी करना, पे-सीएम, 40 प्रतिशत कमीशन सरकार और फॉन्ट गांधी वाड्रा द्वारा मोदी पर देखने के बाद ‘क्राई पीएम’ अभियान के लिए जिम्मेदार थे। कर्नाटक में जीत के बाद, कांग्रेस ने अब कानूनगोलू को मध्य प्रदेश के लिए काम किया है, जहां 2018 की विधानसभा चुनाव के बाद भी पार्टी ने 2020 में राहुल गांधी के करीबी विश्वासपात्र ज्योतिर्मय सिंधिया द्वारा बोबावत के बाद सत्ता खो दी थी।
सत्ता में वापसी के लिए बेताब है कांग्रेस
आरोपित है कि मध्य प्रदेश में चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं और पूर्व कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही सत्ता में लौटने के लिए मेहनत कर रहे हैं। कानूनगोलू को केंद्र राज्य में शिवराज सिंह चौहान सरकार को घोटालों के लिए कर्नाटक लक्षित अभियान के रूप में तैयार करने के लिए कहा गया है। माना जा रहा है कि एमपी में भी कांग्रेस कर्नाटक की तरह कई कैंपेन चला सकती है जोकि स्थानीय मुद्दों से जुड़ते हैं। इसका सीधा-सीधा नुकसान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की छवि को होगा और पार्टी इसे अपना हथियार बनाएगी।
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