
मधेपुरा। बिहार की मेधेपुरा पुलिस ने हेडलीप कुमार हत्याकांड का खुलासा किया है। सदर अनुमंडल के मुरलीगंज थाना क्षेत्र दीनापट्टी में सखुआ पंचायत के मुखिया दिलीप कुमार की गत 26 मई को दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। हत्या के इस मामले की पुलिस ने खुलासा कर दिया है। मधेपुरा पुलिस ने फिल्मी अंदाज में हत्याकांड में शामिल बदमाशों को यूपी के मिर्जापुर के करीब चलती ट्रेन से पकड़ने में सफलता पाई है।
हेडड्रेस की इस हत्या के बाद जिले में कोहराम मच गया था। लॉकडाउन लोगों ने शव के साथ ट्रेन रोक, सड़क जाम कर आगजनी की। एसपी के 48 घंटे के भीतर हत्यारों की गिरफ्तारी और हत्या में शामिल लोगों को बेनकाब करने के नुकसान पर किसी तरह का मामला शांत हो गया था। एसपी राजेश कुमार ने हत्याकांड का खुलासा करते हुए बताया कि 48 घंटे में पुलिस ने चुटकुले को गिरफ्तार कर हत्या के कारणों का पता लगा लिया।
दरअसल दिलीप अतिपिछड़ा के लिए सुरक्षित सीट से हेडड्रेस बने थे। उन चुनावों में जिताने में वहां के दो विरोधी गुटों की अहम भूमिका थी। दोनों गुट अपने व्यवसाय में रखना चाहता था। एक गुट से उसके भीतर दूसरे गुट को मारने के लिए तैयार कर दिया था लेकिन जिस गुट के वो करीब थे वो भी उसे मरवाने की सोच रहा था। पुलिस ने बताया कि दिलीप हेडिंग अजय के करीब थे। उनका ज्यादातर काम वही देख रहा था। अनिल यादव जो खुद कभी फैजान गुट के सदस्य थे, उनके बेटे बौआ हाल ही में जेल से छूटे थे। बौआ को यह नागवार गुजर रहा था के हेडड्रेस सारा लाभ सिर्फ अजय-विजय यादव को दे।
उसने हेडड्रेस से 5 लाख की रंगदारी मांगी। हेडड्रेस ने इस बात की शिकायत बौआ की मां से कर दी फिर क्या था बौआ चिढ गया। वह अपने एक अन्य अपराधी नौकर के साथ मिलकर हेडड्रेस की हत्या की योजना बना रहा था। निओनिखिर ने अजय यादव से भी डेटिंग की। अजय ने ग्लोब में काम करने के लिए 1000 रुपये दिए जिससे उसने बाइक में भरा तेलया और हत्या को अंजाम दिया।
निवर्तमान ने काम होने की पहली सूचना अजय को फोन से दी। एसपी राजेश कुमार की तो प्रभाव ने हेडड्रेस को तीन पिल्स मारीं जबकि बौवा ने दो लिक्विड दिए। घटना के 48 घंटे के भीतर तीन चुटकुले की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने नामांकित किया और बौआ की मांग करना शुरू कर दिया। टेक्निकल सेल का पता दोनों पुणे में चला है। मधेपुरा पुलिस ने एसटीएफ का सहारा लिया लेकिन जब तक एसटीएफ पहुंच जाता है तो दोनों संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए निकल गए, जिसके बाद एसपी ने जीआरपी से समर्थन दिया।
जीआरपी ने मुगलसराय स्टेशन तक सभी कनेक्टेड बोगी को छान दिया लेकिन उनका पता नहीं चला। मुगलसराय में जब ट्रेन रुकी तो सामान्य बोगी में घासी शुरू हुई। मिर्जापुर के पास सामान्य बोगी से तंत्रिका को दोबोचा गया लेकिन बहती ट्रेन से कूद कर भाग गया। एसपी ने बताया कि इन दोनों की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस से भी सहायता ली गई थी उनकी भी टीम दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उन्हें इंतजार कर रही थी।
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पहले प्रकाशित : 01 जून, 2023, 16:49 IST
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