नोएडा वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में महाराष्ट्र से बाघों के राज्य में आने के मामले बढ़ रहे हैं, यहां तक कि राज्य में बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।
बेहतर हरित क्षेत्र और शिकार अधिक मिलने के कारण गोवा की सीमा से लगे महाराष्ट्र से राज्य के वन क्षेत्र में आने वाले बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। नोएडा वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में महाराष्ट्र से बाघों के राज्य में आने के मामले बढ़ रहे हैं, यहां तक कि राज्य में बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। अधिकारियों ने बताया कि बेहतर हरित एवं शिकार करने वाले क्षेत्र के कारण कोमाराम भीम आसिफाबाद जिले के कागजनगर वन मंडल में महाराष्ट्र के टिपेश्वर तथा ताडोबा (अभयारण्य) से आने वाले बाघों की संख्या मिलती है।
उन्होंने कहा कि उनमें से कुछ काम के मामले में अपना घर भी बना रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि वे बहुत अधिक घास के मैदान बना रहे हैं जिसके कारण शाकाहारी आबादी बढ़ रही है और राज्य में बाघों और तेंदुओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है। राज्य में कवल बाघ अभयारण्य (के मिलावट) गलियारा कवल को महाराष्ट्र के अन्य बाघ अभयारण्यों से जोड़ने का एक मार्ग है।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ” कार्यक्षेत्र से आने वाले बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह एक अच्छा वन क्षेत्र है और ध्यानीदार हिरण, सांभर और अन्य जानवर जैसे अच्छे शिकार यहां मिलते हैं जिनसे बाघों के रहने के लिए संभावना है। टिपेश्वर और ताडोबा से भी बाघ आ रहे हैं, जहां आबादी बढ़ने के कारण जगह की तलाश में टाइगर कागजनगर की ओर आ रहे हैं। के मैदान, जल निकाय और फिर उन्हें शिकार के लिए जानवर भी मिल जाते हैं। हम उन्हें हमेशा के लिए यहां रोकने के मकसद से हर संभव प्रयास करेंगे।”
उन्होंने बताया कि फोकस में करीब आठ टाइगर देखें, जो पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अधिक है। कुछ अनुक्रम रह जाते हैं और कुछ पीछे चले जाते हैं और फिर यहां आते हैं। अधिकारियों ने कहा, ”पिछले पांच-छह साल में हमने देखा है कि हमारे इलाके में कई बाघिनों ने कई शावकों को जन्म दिया है।” ।
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