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मैं जितना लिखता हूं उतना कम सोचता हूं : रवीश कुमार

दी फ्री वॉइस, इश्क में शहर होना, देखते रहो और रवीशपंथी जैसे जेब के लेखक एवं पूर्व-टीवी लंगर रवीश ने यहां 16वें जेएलएफ में द नेचर ऑफ फीयर सत्र में यह बात कही।

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने शुक्रवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कहा कि लेखन ने उन्हें अपने डर से बाहर निकलने में मदद की है और साथ ही उन्हें एक ऐसे मजबूत व्यक्तित्व में बदल दिया है, जो सत्ता में बैठे लोगों से सवाल कर सकते हैं। दी फ्री वॉइस, इश्क में शहर होना, देखते रहो और रवीशपंथी जैसे जेब के लेखक एवं पूर्व-टीवी लंगर रवीश ने यहां 16वें जेएलएफ में द नेचर ऑफ फीयर सत्र में यह बात कही। इस सवाल पर कि सत्तासीन लोगों से सवाल करने की हिम्मत उन्हें कहां से मिलती है, रवीश ने कहा कि एक वक्त ऐसा भी होता है, जब उनमें से ऐसा करने का साहस नहीं होता।

उन्होंने कहा, दिमाग और पर कभी-कभी इतना प्रभाव पड़ता है कि मैं कई दफा शरीर छोड़ देता हूं और वह भी जब आप अकेले इसे कर रहे हैं। मैं सबसे पहले इंसान हुआ करता था, यहां तक ​​कि सड़क पार करने में डर लगता था। जो लोग मुझे उस समय से जानते हैं, वे हैरान होते हैं कि मैं इतना बोल कैसे लेता हूं? कार्यकर्ता सत्यानंद निरूपम के साथ बातचीत में रवीश ने कहा, बहुत से क्षण ऐसे होते हैं, जो आपको हिम्मत देते हैं। राइटिंग ने मुझे आगे बढ़ने में काफी मदद की है। जितना अधिक मैं लिखता हूं, उतना कम डर लगता है।

जितना अधिक मैं बताता हूं, उतना ही मेरा डर पहले से अधिक बेमानी होता है। जब बोलने की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है, तो डर से सिर उठाना लगता है। यही कारण है कि मैं अगले दिन लिखना शुरू कर देता हूं। जब आप लिखते हैं तो आप अपनी बातों से बातें करते हैं, कोई भी दर्शक नहीं आता। जितना अधिक आप खुद का सामना करते हैं, उतना ही आप खुद से लड़ेंगे। रवीश ने यहां जेएलएफ के चारबाग में दर्शकों की भारी भीड़ से जानकारी होते हुए ये सब शेयर कीं।

जब उनसे पूछा गया कि वह उनके बारे में कैसे परिभाषित करेंगे, तो उन्होंने जवाब से चुटकी ली कि ऐसे सवालों के जवाब केवल बाबा रामदेव की किताबों में मिल सकते हैं। हालांकि, उन्होंने साथ ही कहा कि इसकी परिभाषाएं समय और संबंध से बंधी हैं। उन्होंने कहा, मेरे डर, अलग कारण से हैं, आपके डर, आपके अलग कारण से हैं। लेकिन इस युग में हमारी दोनों की चिंताएं कहीं एक होती हैं। यदि मैं इसे समझता हूं, तो हम उन्हें दूर करने की दिशा में काम कर सकते हैं। आप अपनी निजी रचनाओं से प्रतिस्पर्धा करने के लिए अकेले ही लड़ेंगे।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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