
चंपत राय, सचिव श्री रामजन्मभूमितीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
लखनऊ: अयोध्या में बुधवार को श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक हुई है। इस बैठक में राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति वैसी ही चर्चा में है। राम मंदिर में भगवान राम की ऐसी मूर्ति स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालु 30 से 35 फीट की दूरी से ही अपनी आंखों और स्टैज को देख सकें। अभी भी अस्थाई मंदिर में भगवान राम बाल रूप में हैं और अष्टधातु के करीब 6 इंच की मूर्ति बैठी अवस्था में है।
अयोध्या के राम मंदिर में इन लिप्स के साथ ही भगवान राम की एक बड़ी मूर्ति भी झूमती नजर आएगी। ये मूर्ति भी भगवान राम के बालरूप की होगी। अब इस बात पर हो रहा है कि भक्त 30 से 35 फुट की दूरी से ही विजन कर सकते हैं, ऐसी बड़ी मूर्ति पर फतह हो सकती है या नहीं।
कैसा बन रहा राम मंदिर?
राम मंदिर को इस तरह बनाया जा रहा है कि रामनवमी के दिन सूर्य की रोशनी सीधे भगवान राम के मस्तिष्क को प्रकाशमान करें। इसके लिए करीब साढ़े आठ फीट की मूर्ति पीठिका भी लगाई जाएगी। ट्रस्ट के लोग ज्यादातर की राय है कि मंदिर में 5 से 6 साल की उम्र की उम्र में रामलला की मूर्ति हो और मूर्ति चढ़ती हो। भगवान राम की मूर्ति नीली हो और मूर्ति का पत्थर नीला हो, जिसमें थोड़ा सा ग्रे मिला हो। ऐसा पत्थर देखने के लिए विशेषज्ञ उड़ीसा और महाराष्ट्र जाएंगे।
राम मंदिर में लहूलुहान रामलला की मूर्ति के कई चित्रकार पहले चित्र बने, फिर चित्र को देखा जाएगा कि कौन सा चित्र दिल को छू रहा है। उसकी मूर्तिकार 9 से 12 इंच की मूर्ति बनाता है। मूर्ति में रामलला की आंख, नाक, कान, पैर के उंगली के निशान बन जाएंगे। तब राम मंदिर में लहूलुहान भगवान राम के बालरूप की प्रतिमा के बारे में फैसला किया जाएगा और तब निर्वाचित की टीम रामलला की मूर्ति बनाएगी। इस मूर्ति के निर्माण में 5 से 6 महीने का समय लगता है।
आज की बैठक में बताया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है और इसी साल दिसंबर में मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति की प्रतिष्ठा के लिए तैयार हो जाएंगे। रामजन्मभूमि में परकोटे की गंदगी के लिए खुदाई का काम भी शुरू हो गया है।



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