
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह ,रायपुर | छत्तीसगढ़ प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि और पद्मश्री सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन से न केवल हिंदी साहित्य जगत, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके देवलोकगमन को साहित्य और संस्कृति की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।
श्रद्धांजलि देने पहुंचे वरिष्ठ नेता
प्रख्यात कवि डॉ. दुबे के निधन का समाचार मिलते ही भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जम्वाल तथा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय उनके निवास पर पहुंचे और दिवंगत आत्मा को श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया। उन्होंने परिजनों से मिलकर गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा:
“छत्तीसगढ़ ने एक साहित्यिक दीप को खो दिया है, जिसकी रोशनी पीढ़ियों तक मार्गदर्शन करती रहेगी।”
साहित्य की दुनिया में अमिट छाप छोड़ने वाले कवि
डॉ. सुरेंद्र दुबे न केवल हास्य और व्यंग्य के माध्यम से जनजागरण करने वाले कवि थे, बल्कि उन्होंने भारतीय मंचीय कविता को एक नई दिशा और ऊँचाई प्रदान की। टीवी, रेडियो, अखबारों और काव्य मंचों पर उनकी उपस्थिति हमेशा प्रभावशाली और प्रेरक रही। वे शब्दों के ऐसे चितेरे थे जो हँसी के माध्यम से समाज की सच्चाई को उजागर करते थे।
छत्तीसगढ़ की साहित्यिक पहचान
डॉ. दुबे का नाम छत्तीसगढ़ की साहित्यिक पहचान बन चुका था। उनकी रचनाएँ, वक्तृत्व कला और मानवीय संवेदनाओं से भरपूर दृष्टिकोण ने उन्हें प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में एक अलग स्थान दिलाया। छत्तीसगढ़ उन्हें ‘हास्य रस का राजदूत’ मानता रहा है, जिन्होंने साहित्य को जन-जन तक पहुँचाया।
स्मृतियाँ अमर रहेंगी
डॉ. दुबे की साहित्यिक धरोहर, उनका जीवन दर्शन और हास्य के माध्यम से समाज सुधार का प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
उनकी स्मृतियाँ जनमानस के हृदय में सदा जीवित रहेंगी, और वे सदैव छत्तीसगढ़ की मिट्टी में रचे-बसे रहेंगे।
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