
छोटे बजट की बड़ी फिल्म

पहले ‘जया जया जया हो’ फिल्म के बारे में मोटा होकर प्रेरित किया। ये 28 अक्टूबर 2022 को सिनेमा में रिलीज हुई थी, जिससे हज ने 5-6 करोड़ कमाए थे। मगर इस छोटे बजट की फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 50 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर हिट का तमागा हासिल किया था। फिल्म को विपिन दास ने डायरेक्ट किया है जिसमें दर्शना राजेंद्रन और बासिल जोसेफ लीड रोल में हैं।
फिल्म का निष्कर्ष

‘जया जया जया हो’ की सबसे प्यारी बात ये है कि ये एक टक में पूरी देखने वाली फिल्म है। अब तक घरेलू हिंसा पर ज्यादा भावनात्मक फिल्में बनी हुई हैं। मगर विपिन दास ने इस फिल्म में कॉमेडी-ड्रामा का जबरदस्त तड़का लगाया है। वह इस गंभीर विषय को स्पष्ट के साथ दिखाते हुए भी शानदार और कनलुजन भी देते हैं। यही इस फिल्म की ताकत है।
‘जया जया जया हो’ की कहानी

फिल्म की लीड लेडी जया (दर्शना) हैं। जिनके बचपन में माता पिता से बेटी होने के वो सारे भेदभाव मिले हैं जो आम परिवार में आम है। जी हां, प्यारी बेटी प्यारी बेटी की आड़ में पैरेंट्स लाडले भैया को घर का ‘राजा’ कैसे बनाते हैं। ये भी फिल्म में दिया सिंपल तरीके से उठाया है। जया को पहले पढ़ने में टोका गया। फिर पहला प्यार हुआ तो प्रेयसी ने भी हक दिया और उसे चुप करवा दिया। फिर बची कसर ने जबरन शादी से पूरी कर ली। कहा कि आपका होने वाला पति आपको पढ़ेगा लिखाएगा… लेकिन जब शादी हुई तो ये सब एक सपना बनकर रह गया। क्लास की टॉपर रहने वाली जया गृहस्थी में फंस गई। वह सब एक बार फिर परिवार के लिए अपने सपनों को छोड़कर पति की देखभाल में जुट गईं। इसके बदले में उसे मिला क्या….थप्पड़, मारपीट और साम। बचपन से कभी अपने लिए जजमेंट न लेने वाली जया कैसे उभरती हैं यही फिल्म की कोर कहानी है।
दोनों फिल्मों का क्लेवर अलग

वहीं आलिया भट्ट की ‘डार्लिंग्स’ भी इसी विषय पर थी। इसमें भी नैसर्गिक पीटता था। मगर जब सदर ने खुद के लिए कोई फैसला लिया तो मर्द की ताकतें धरी रह गईं। ठीक वैसे ही जैसे जया ने किया। मगर दोनों ही फिल्मों का कलेवर अलग है। दोनों ही निर्देशकों के तरीके अलग हैं। यही कारण है कि इन दोनों महिला केंद्रित फिल्मों में एक ही विषय हमेशा से रहा है।
आलिया पर भारी यात्री क्यों हैं जया उचित दर्शना
जया कहीं न कहीं आलिया की फिल्म पर भारी है। मलयालम फिल्मों का निर्माण इनका लेखन और कथानक शानदार होता है। जया में यही अस्पष्ट फिल्म जबरदस्त बनती है। कहानी एक लय में चलती है। कभी आपको ये गुडगुड़ाती है तो कभी सोच में डाल देती है। फिल्म का क्लाइमैक्स भी शानदार है। न मारधाड़ न ही कोई अनावश्यक ड्रामा। इस वजह से डार्लिंग पर जया भी भारी है।
कैसे छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर निर्माताओं ने इसे शानदार फिल्म बनाई है
एक बात और जो जया को बहुत बेहतर बनाता है। वो ये कि जया मोबाइल फोन से कर्राटे सीखकर पति को उसी की भाषा में जवाब देता है। मतलब वो अचानक सुपरविमेन नहीं बनी बल्कि उनका सूझ-बूझ को दिखाने का स्टाइल मेकर्स का अच्छा था। दूसरी बात ये कि कैमरा वर्क भी शानदार था। वह घर की स्थिति के लिए जो छोटी छोटी चीज दिखाई दे रही है उसे देखकर आप कुछ कहना नहीं चाहेंगे। खुद-ब-खुद समझ जाते हैं कि मेकर्स क्या दिखाना चाहते हैं। जैसे जुड़ पर बांधा रबर, शीशे के शीशे पर टेप और ब्रेक कुरसी को तार से बांधना, वॉशिंग मशीन की तंग स्थिति।
दर्शकों को इंप्रेस करती है मलयालम फिल्म जया
डार्लिंग में एक ओर जहां आलिया भट्ट और शेफाली शाह जैसे बड़े सितारे हैं तो जया में मलयालम इंडस्ट्री के ऐसे सितारे हैं जो नॉर्थ में शायद ही लोग पहचानते हों। मगर फिर भी जब वह ओट्टी पर जया फिल्म को धारण करते हैं तो उनके शानदार कलाकार दर्शकों को प्रभावित करते हैं।



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