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दर्शकों को पागल समझ कर भूल जाती है फिल्म ‘पागल’ – News18 हिंदी

पागल रिव्यु: फिल्म की शुरुआत में हीरो कहता है कि मुझे आज तक 1600 लड़कियों से प्यार हो गया है। कासा बर्ना मज़ाक को फिल्म में कॉमेडी और रोमांटिक एंगल के नाम पर रखा गया है। फिल्म ‘पागल’ निहायत ही अजीब से डॉक को लेकर चलती है। ऐसी फिल्में देख कर लगता है कि कहानी लिखने वाले की अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे और वो एक ऐसी अजीब सी समस्या को लेकर रच रहा है जो आज के सागर में होती नहीं है या फिर एक वहशी और पागल प्यार की कहानी है। ये फिल्म इतना मज़ेदार हो सकती थी कि हीरो अपने टूटे हुए प्यार के रिश्ते की कहानियां सुनाता और दर्शकों के साथ प्यार, धोखा और दर्द सब महसूस करता है लेकिन ‘पागल’ने सभी देखने वालों को पागल समझा है।

एक बच्चे को उसकी मां सबसे ज्यादा और सबसे निश्चल प्रेम करती है। क्या वो ये प्यार किसी और शख्स में ढूंढ सकता है? फिल्म पागल का हीरो प्रेम (विश्वक सेन) जाने कैसे ये कल्पना कर लेता है कि गुलाब का फूल दे कर किसी भी लड़की को ‘आय लव यू’ बोले से उसे गहन और अथाह प्रेम हो जाएगा। एक भी प्रेम कहानी बहुत सी ऐसी सोच पर नहीं बनती और प्यार का ये छिछोरा प्यार नहीं हो पाता। फिल्म के लेखक का खाली दिमाग तब दिखता है जब फिल्म में एक नेता राजा रंडी (मुरली शर्मा) वोट मांगते समय ऐसा भाषण देते हैं जैसे कि वो अपने प्रेमी को रिझा रहे हैं और प्यार को भी प्यार करता है। इसके बाद की कहानी में थोड़ा ट्विस्ट है जो फिल्म में लिटिल रोमांस और शॉर्ट स्पीड प्रदान करता है। कहानी यहां से शुरू होती तो शायद एक शानदार मसाला फिल्म बन सकती थी। फिल्म का पहला हिस्सा पूरी तरह से भरा हुआ है और दर्शकों के लिए उबाने वाला है। फिल्म इंटरवल के बाद से देखिए।

फिल्म के हीरो विश्वक सेन ने अभिनय के साथ कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया है, जैसे 2017 की बहुचर्चित मलयालम फिल्म ‘अंगामाली डायज’ का नया नाम ‘फलकनुमा दास’ या फिर प्रसिद्ध अभिनेत्री ‘नानी’ के साथ ‘हिट-द फर्स्ट केस’ है। जेल जाने के मामले में उन्हें अभी तक सफ़र तय करना है। उनमें से हीरो वाले गुणों की कमी है। डांस ठीक ठाक है, एक्टिंग तो कॉम्प्लीकेशन है। इतनी लचर कहानी और उसे भी गिरफ्तार स्क्रीनप्ले पर काम करने के लिए उन्होंने कैसे हां की, ये सोचने की बात है। भूमिका चावला और मुरली शर्मा अपने अनुभव के दम पर थोड़ा बहुत प्रभाव छोड़ देते हैं। फिल्म में कॉमेडी की कोशिश की गई है और एक्शन भी डाला गया है, लेकिन इसकी स्पीड सिर्फ दूसरे हिस्सों में थी। फिल्म की हीरोइन एरोरा (निवेता पेटुराज) जो दिखने में खूबसूरत हैं और अभिनय भी अच्छी करती हैं। पूरी फिल्म का केंद्र बनने की राह इसकी कहानी थी लेकिन फिल्म का नाम पागल है तो सारा फोकस फिल्म के हीरो पर रखा गया है।

संगीत राधन का है, कुछ गाने जो अधिकार से भरे हुए हैं और उनके लिरिक्स भी अंग्रेजी शब्द से बोल रहे हैं। एक गाना तो ‘गूगल’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए नजर आता है। ज्यादातर साइन्स के लिए कोई सिचुएशन फिल्म में नहीं है, लेकिन ड्रामा की ही तरह इसके गाने फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाते हैं और इसलिए अजीब नहीं लेते हैं। इस फिल्म को ‘विचित्र’ ही रेट किया जा सकता है। फिल्म में रोमांटिक कॉमेडी होने की क्षमता धूमिल हो जाती है जबकि एक करीबी प्रेम कहानी जैसी बन सकती है। फिल्म में हीरो के किरदार का हर 10 मिनट में एक लड़की के प्यार में पड़ने वाला बहुत नया ही ओछा लगता है। लेखक की बुद्धि पर भी लाट आता है जब वो माँ के प्यार की तुलना प्रेमिका के प्यार से करता है। ये कैसे संभव है कि एक लड़की किसी लड़के से उस तरह से प्यार करे जैसे उस लड़के की मां उस से करती थी वो भी सिर्फ इसलिए कि लड़के ने बीच सड़क पर उसे गुलाब का फूल दे कर ‘आय लव यू’ कह दिया हो। बस ऐसे ही अधकचरे विचार के लिए ये फिल्म किसी वाइज को पसंद नहीं आएगी।

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कहानी:
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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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