
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर । मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 21 मार्च को भारत के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय था। यह वह दिन है जब देश ने तानाशाही के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं था, बल्कि यह भारत के नागरिकों की आस्था, साहस और संघर्ष की जीत थी।
मुख्यमंत्री साय ने 1975 में लगे आपातकाल को याद करते हुए कहा कि उस समय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों को कुचल दिया गया था। न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को कमजोर कर समस्त शक्ति एक परिवार के हाथों में केंद्रित कर दी गई थी। नागरिक अधिकारों का दमन, मीडिया पर सेंसरशिप, विरोध की आवाज़ों का दमन और निर्दोष लोगों की गिरफ्तारियां, लोकतंत्र के खिलाफ तानाशाही की क्रूरता को दर्शाती हैं।
उन्होंने अपने पारिवारिक अनुभव साझा करते हुए कहा, “मेरे बड़े पिताजी नरहरि साय को भी 19 महीने जेल में रखा गया था। वे उन लाखों लोकतंत्र सेनानियों में से एक थे जिन्होंने देश की आत्मा की रक्षा के लिए संघर्ष किया।” उन्होंने कहा कि कई सेनानियों को बेड़ियों में जकड़ा गया और उनके परिवारों को अमानवीय यातनाएं सहनी पड़ीं।
मुख्यमंत्री साय ने उस दौर की क्रूरता को याद करते हुए कहा, “अखबारों पर ताले लगा दिए गए थे, कलाकारों की आवाज़ को दबा दिया गया था। यहां तक कि प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार को भी रेडियो पर बैन कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था।”
उन्होंने तीखा प्रहार करते हुए कहा, “जो लोग संविधान को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे, आज वही संविधान की दुहाई दे रहे हैं। 1975 में लगाए गए आपातकाल का पाप तब दोहराया गया, जब पिछली कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान राशि रोक दी। यह उन सेनानियों के बलिदान का अपमान है।”
मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि भारत का लोकतंत्र किसी एक पार्टी या सत्ता की बपौती नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों के साहस, बलिदान और संकल्प की देन है। उन्होंने जनता को सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा कि अब देश की जनता जागरूक है और तानाशाही मानसिकता को पहचानकर हराने में सक्षम है।
“21 मार्च 1977 को देश ने लोकतंत्र की जीत का उत्सव मनाया था, लेकिन हमें हमेशा सतर्क रहना होगा ताकि फिर कभी लोकतंत्र पर अंधकार का साया न पड़े।” – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय













