
UNITED NEWS OF ASIA. अरुण पुरेना, बेमेतरा। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग रायपुर द्वारा आठवां प्रांतीय सम्मेलन 1 और 2 मार्च को रायपुर के हाटल वुड कैसल, मैग्नेटो माल के पास आयोजित किया गया। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री और संस्कृति मंत्री माननीय विष्णुदेव साय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, वहीं विशिष्ट अतिथि के तौर पर सांसद रायपुर लोकसभा क्षेत्र बृजमोहन अग्रवाल, संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी. और छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार भी मौजूद रहे।
सम्मेलन में पूर्व राजभाषा आयोग अध्यक्ष डॉ. विनय पाठक, पूर्व सचिव पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे और पूर्व सचिव डॉ. अनिल कुमार भतपहरी सहित कई प्रमुख साहित्यकारों का भी स्वागत किया गया। इस दो दिवसीय सम्मेलन का अंतिम सत्र पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी और कलेक्टर रहे शिव कुमार तिवारी ने संबोधित किया, जिनका संबोधन सम्मेलन के लिए महत्वपूर्ण था।
सम्मेलन के दौरान आयोजित विराट कवि सम्मेलन में प्रदेश भर से लगभग 450 कवियों और कवित्रियों ने भाग लिया। इन कवियों ने छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने और उसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर बेमेतरा जिले से करीब 20 कवियों ने काव्य पाठ किया।
बेमेतरा के कवियों का काव्य पाठ
बेमेतरा जिले से हास्य-व्यंग्य कवि रामानंद त्रिपाठी, गोकुल बँजारे चंदन, डॉ. राजेन्द्र पाटकर, ईश्वर साहू आरूग, दिलीप टिकरिहा, नारायण वर्मा चंदन, विशाल सिंह ध्रुवे, भुवन दास जांगड़े, संतोष साहू, अमीन बंजारे, अश्वनी रात्रे, बीना नेताम, हरिश पाटिल, हेमशंकर पाटिल सहित अन्य कवियों ने अपनी कविताओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
सम्मेलन का संचालन
सम्मेलन का संचालन भाठापारा के अजय अमृतांशु, दुर्ग के किशोर तिवारी, राजनांदगांव के पद्मलोचन शर्मा और मुहफट ने किया।
आखिरकार, सम्मेलन के समापन पर राजभाषा आयोग द्वारा उपस्थित सभी कवियों और साहित्यकारों को पेन, डायरी और प्रणाम पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ी भाषा के महत्व को और भी प्रगाढ़ किया और इसको राज्य की प्रमुख भाषाओं में शामिल करने के लिए एक नई उम्मीद जगी।
यह आयोजन न केवल छत्तीसगढ़ी भाषा को प्रमोट करने का एक महत्वपूर्ण कदम था, बल्कि प्रदेश के कवियों को अपनी आवाज़ उठाने और अपने विचार साझा करने का एक सुनहरा अवसर भी प्रदान किया।













