गरियाबंदछत्तीसगढ़

आस्था और परंपरा का संगम: होलिका दहन तक होगा औषधीय यज्ञ अनुष्ठान

UNITED NEWS OF ASIA. गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में हर साल अनोखी परंपरा के तहत विशेष होली मनाई जाती है, जहां रंगों की जगह यज्ञ की पवित्र राख से तिलक कर होली खेली जाती है। इस बार भी गौ माता की भव्य शोभायात्रा के साथ विश्व शांति महिमा सम्मेलन का शुभारंभ हुआ, जिसमें भक्तों ने आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम देखा।

गौ माता के पग तले मिली आस्था की शक्ति

होली से ठीक चार दिन पहले इस आयोजन की शुरुआत होती है। इस बार गौ माता को तीन किलोमीटर लंबे सफेद कालीन पर चलने के लिए सजाया गया था। भक्तगण गौ माता के पग के आगे साष्टांग लेटकर गौ पग बाधा बने, जिसे गौ पद लेना कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और जीवन के क्लेश समाप्त हो जाते हैं। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के विभिन्न कोनों से हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।

भाजपा संगठन महामंत्री पवन साय ने लिया ‘गौ पद’

इस धार्मिक आयोजन में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, संघ प्रांत प्रचार प्रमुख संजय तिवारी, हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश पदाधिकारी सौरभ दुबे, संघ के अभिलेखागार प्रमुख महावीर प्रसाद ठाकुर, प्रसिद्ध कथा वाचक युवराज पांडेय समेत कई धार्मिक एवं राजनीतिक हस्तियां शामिल हुईं।

होलिका दहन तक चलेगा यज्ञ अनुष्ठान, राख से होगी पवित्र होली

यह आयोजन तीन दिनों तक चलने वाले यज्ञ अनुष्ठान के साथ संपन्न होता है, जिसमें औषधीय काष्ठ का उपयोग किया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन यज्ञ की पवित्र राख से तिलक लगाकर होली खेली जाती है।

बाबा उदयनाथ का गौ आश्रम: 800 गौवंश की निस्वार्थ सेवा

इस आयोजन के प्रमुख बाबा उदयनाथ हैं, जो महिमा संप्रदाय के प्रमुख संत हैं। उनके अनुयायियों की संख्या 5000 से अधिक है। बाबा के आश्रम में 800 गौवंश की सेवा की जाती है। आश्रम में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और गौ मूत्र से औषधियां बनाई जाती हैं, जिससे कई रोगों का उपचार किया जाता है। साथ ही नशा मुक्ति अभियान चलाकर बाबा ने हजारों लोगों को नया जीवन दिया है।

बाबा उदयनाथ का संदेश:
“हमारा उद्देश्य गौ वंश और प्रकृति के प्रति प्रेम जागृत करना है, ताकि समाज में गौ माता के संरक्षण और प्राकृतिक संतुलन की भावना को बढ़ावा मिल सके।”

आस्था और संस्कृति का दिव्य संगम

यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है बल्कि गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी बन चुका है। हर साल यह परंपरा श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव से भर देती है और विश्व शांति का संदेश देती है।

 छत्तीसगढ़ की इस अनोखी होली को देखने के लिए हर साल हजारों भक्त यहां उमड़ते हैं, जहां आस्था, भक्ति और प्रकृति प्रेम का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

 


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