
UNITED NEWS OF ASIA. लक्ष्मी पटेल, कोण्डागांव | बस्तर की समृद्ध जनजातीय कला, संस्कृति और परंपराओं को सहेजने के उद्देश्य से जिला स्तरीय ‘बस्तर पण्डुम’ उत्सव का आयोजन 27 और 28 मार्च को नगर के स्थानीय ऑडिटोरियम में किया जाएगा। यह आयोजन प्रदेश सरकार की पहल पर बस्तर की जनजातीय परंपराओं को पुनर्जीवित करने और उन्हें वैश्विक पहचान दिलाने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
संस्कृति, परंपरा और कला का मिलेगा अद्भुत संगम
इस उत्सव में बस्तर संभाग की अनूठी लोककला, शिल्पकला, तीज-त्यौहार, खान-पान, बोली-भाषा, वेशभूषा, आभूषण, वाद्ययंत्र, पारंपरिक नृत्य, गीत-संगीत, नाट्यकला, व्यंजन और पेय पदार्थों के मूल स्वरूप के संरक्षण एवं संवर्धन पर विशेष जोर दिया जाएगा। साथ ही, स्थानीय कला समूहों और जनजातीय कलाकारों को प्रोत्साहन और सम्मान देने का भी उद्देश्य है।
मुख्यमंत्री की मंशा – ‘संस्कृति से जुड़े, विरासत सहेजे’
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सोच के अनुरूप, यह आयोजन बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और उसे जीवंत बनाए रखने का सार्थक प्रयास है। इस मंच से बस्तर के प्रतिभाशाली कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का सुनहरा अवसर मिलेगा, जिससे उनकी कला को नई पहचान मिलेगी और उनके हुनर को प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस भव्य आयोजन में पारंपरिक नृत्य, गीत-संगीत और हस्तशिल्प की झलक देखने को मिलेगी, जो बस्तर की गौरवशाली संस्कृति का अनूठा परिचय कराएगी। जनजातीय परंपराओं और जीवनशैली को करीब से समझने के लिए यह उत्सव एक सुनहरा अवसर होगा।
स्थान: नगर का स्थानीय ऑडिटोरियम
तारीख: 27 और 28 मार्च 2025
बस्तर की लोकसंस्कृति के इस भव्य महोत्सव का हिस्सा बनें और बस्तर की अनमोल धरोहर को करीब से जानें!



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