
UNITED NEWS OF ASIA. महेंद्र शुक्ला, मनेंद्रगढ़ | प्रतिनिधि मनेंद्रगढ़ शहर के हृदयस्थल पर स्थित ऐतिहासिक भूपेंद्र क्लब की जमीन आज सवालों के घेरे में है। कभी सामाजिक, सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों का केंद्र रहा यह स्थान अब अतिक्रमण और अवैध निर्माण का गढ़ बन चुका है। स्थानीय नागरिक इसे “क़त्ल की रात” कह रहे हैं—वो रात जब सार्वजनिक जमीन को चुपचाप निगल लिया गया।
भूपेंद्र क्लब की जमीन पर कब्जा, प्रशासन मौन!
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि क्लब की बेशकीमती जमीन पर बीते कुछ वर्षों में धीरे-धीरे कब्जा जमाया गया। रात के अंधेरे में निर्माण कार्य शुरू हुए, दीवारें खड़ी हुईं, और देखते ही देखते क्लब का बड़ा हिस्सा निजी कब्जे में चला गया।
जनता की निगाहें अब बुलडोजर पर टिकी
मनेंद्रगढ़ की जनता अब प्रशासन की ओर देख रही है—क्या बुलडोजर चलेगा? क्या जिम्मेदार अफसर कार्रवाई करेंगे? लोगों का कहना है कि यह जमीन आम जनता की थी, समाज की थी, और इसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जा सकता।
राजनीतिक चुप्पी भी सवालों के घेरे में
इस पूरे मामले में स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी बेहद रहस्यमय है। अब तक किसी भी सत्ताधारी या विपक्षी नेता ने खुलकर बयान नहीं दिया, जिससे लोगों का गुस्सा और बढ़ता जा रहा है।
“क़त्ल की रात” से “इंसाफ की सुबह” तक…
लोगों का कहना है कि यह जमीन कब्जाने वालों के लिए ‘संपत्ति’ हो सकती है, लेकिन शहरवासियों के लिए यह गर्व का प्रतीक है। अब सवाल है—क्या प्रशासन इस ऐतिहासिक स्थल को बचाएगा या यह मामला भी अन्य सरकारी संपत्तियों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा?
“अब बस इंतजार है उस सुबह का… जब कानून का बुलडोजर चलेगा और न्याय की नींव फिर से मजबूत होगी!”
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