
UNITED NEWS OF ASIA. कृष्णा नायक, सुकमा। कभी माओवाद का गढ़ माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के मेटागुडम व आसपास के गांवों में अब परिवर्तन की हवा बह रही है। CRPF की 131वीं बटालियन द्वारा आयोजित सिविक एक्शन प्रोग्राम (CAP) ने इस बार एक और मिसाल कायम की है—जहां केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि सेवा और संवाद की भावना भी नजर आई।
ग्रामीणों के लिए सूचना का नया जरिया बना रेडियो
कार्यक्रम में मेटागुडम, इरापल्ली, रसपल्ली और बोटेटांग से बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे। CRPF द्वारा ग्रामीणों को रेडियो सेट वितरित किए गए, जिससे वे अब दुनिया से जुड़ सकेंगे—सरकारी योजनाओं की जानकारी, मौसम की सूचना और मनोरंजन सब कुछ अब एक बटन पर।
ग्रामीणों ने इसे “सूचना की नई सुबह” करार दिया। सहायक कमांडेंट अमित कुमार श्रीवास्तव और आनंद त्रिपाठी की सक्रिय भागीदारी से यह कार्यक्रम एक सकारात्मक जनसंवाद में बदल गया।
निःशुल्क चिकित्सा शिविर में मिला इलाज और सलाह
CAP के दौरान आयोजित नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर में सैकड़ों ग्रामीणों का परीक्षण किया गया। 131वीं बटालियन के मेडिकल ऑफिसर डॉ. दर्शप्रीत सिंह के नेतृत्व में स्वास्थ्य टीम ने बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं की जांच कर उन्हें आवश्यक दवाइयां प्रदान कीं।
मलेरिया, बुखार, त्वचा रोग और कुपोषण जैसे सामान्य रोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य जागरूकता पर भी जोर दिया गया। यह शिविर उस इलाके के लिए उम्मीद की नई किरण साबित हुआ जहां अभी भी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं।
“गांव हमारा घर, ग्रामीण हमारा परिवार”—CRPF का मूलमंत्र
कार्यक्रम की शुरुआत में CRPF अधिकारियों ने ग्रामीणों से भावनात्मक संवाद स्थापित करते हुए कहा, “हम केवल सुरक्षा देने नहीं, भरोसे का रिश्ता जोड़ने आए हैं।” सुरक्षाबल की यह भावना अब ग्रामीणों के बीच गहराई से बस चुकी है।
एफओबी मेटागुडम में तैनात ए व डी/131वीं वाहिनी ने ग्रामीणों के लिए जलपान की व्यवस्था कर सामुदायिक एकता को और भी मजबूत किया।
जनकल्याण योजनाओं की दी गई जानकारी
CAP के माध्यम से ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, जनधन योजना जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही इन योजनाओं का लाभ लेने की प्रक्रिया भी समझाई गई। कार्यक्रम स्थल पर हेल्प डेस्क स्थापित कर ग्रामीणों की शंकाओं का समाधान किया गया।
अब नक्सल नहीं, विकास की पहचान बन रहा मेटागुडम
कभी भय और पिछड़ेपन का प्रतीक रहे मेटागुडम, रसपल्ली और बोटेटांग जैसे गांव आज उम्मीद और बदलाव के नए केंद्र बन रहे हैं। CRPF के कैंप की उपस्थिति अब डर नहीं, बल्कि सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और सरकारी योजनाओं की पहुंच का प्रतीक बन चुकी है।
सेवा और संवेदना से बन रहा है विश्वास का पुल
CRPF की 131वीं बटालियन का यह प्रयास इस बात का उदाहरण है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में हथियार नहीं, बल्कि दिलों को जीतने से स्थायी बदलाव आता है।
समर्पण, सेवा और संवेदना—इन तीन मूल्यों को लेकर आगे बढ़ रही 131वीं बटालियन, भविष्य में इन गांवों को शांति और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रेरणा बन रही है।
मेटागुडम आज सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि नक्सलवाद से मुक्ति और विकास की नई कहानी बन चुका है।
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