कुछ लोग दिन में सक्रिय नहीं रहते हैं। उन्हें थकान महसूस होती रहती है। ऐसे लोग रात में काफी एक्टिव रहते हैं। वे काफी ऊर्जावान महसूस करते हैं। मुमकिन है कि ऐसा आपके साथ भी हो। ऑफिस पहुंचने के तुरंत बाद आपको काम करने का मन नहीं होगा। जैसे ही शाम को आएगी, आपको फटाफट काम निबटाने का मौका मिलेगा। यह विशिष्ट किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या क्या है? विशेषज्ञ इसे एचपीए डिसफंक्शन यानी एचपीएडी (हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रेनल डिसफंक्शन) कहते हैं। हमारे यहाँ क्या हैं यह समस्या और क्या हैं इसके कारण।
एचपीए डिसफंक्शन (हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रेनल डिसफंक्शन) क्या है इसे समझें
स्वास्थ्य एवं वैश्वीकरण कोच शिवांगी दासी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा है, ‘कुछ लोगों के दिन की शुरुआत ही रात में होती है। उनमें ऊर्जा का विस्फोट होता है। कभी-कभी तो यह ऊर्जावान कि वजह से नींद ही नहीं आती। इसके पीछे एचपीए डिसफंक्शन जिम्मेदार हो सकता है। एचपीए डिसफंक्शन तब होता है, जब एचपीए एक्सिस के तीन पिछड़े में से एक या अधिक वह काम नहीं कर पाता है, जो उसे करना चाहिए। यदि हाइपोथैलेमस एसीटीएच (एसीटीएच) रिलीज करने के लिए पिट्यूटरी ग्रंथि को संकेत देने में विफल रहता है, तो एड्रिनल ग्रंथि की मात्रा में कोर्टिसोल का उत्पादन नहीं कर सकता है।’
क्यों होती है यह समस्या (HPA समस्या)
शिवांगी सहायिका कहती हैं, ‘जब बहुत ज्यादा स्ट्रेस होता है, तो बहुत ज्यादा कोर्टिसोल सीक्रेट होता है।’ यह एचपीए डिसफंक्शन का कारण बनता है। इसके कारण से एंजायटी, मूड एनर्जी, एनर्जी नहीं होना, फोकस नहीं होना, प्रोडक्टिविटी नहीं होना शामिल हैं। इसलिए एचपीए एक्सिस को मापना सबसे जरूरी है।’
इन 4 अनइंस्टॉल से एचपीए को नियंत्रित किया जा सकता है
1 अर्थिंग शुरू करें (घास पर नंगे पैर चलना)
शिवांगी डेज़ी के अनुसार, ओपन पैर घास वाले गार्डन में। इससे सूजन कम होगी। घास पर पेराई पेरोल से तनाव कम हो सकता है। यह कोर्टिसोल के स्तर को कम कर सकता है। सुबह सबसे पहले घास पर पैर की सैर विशेष रूप से खतरनाक होती है। इससे नर्वस सिस्टम, न्यूरॉन को सक्रिय करने और मूड (मूड स्विंग) में सुधार करने में मदद मिलती है।
2 डीप ब्रीडिंग (गहरी सांस लेना)
बेली ब्रीडिंग (बेली ब्रीथिंग) में डायफ्राम का उपयोग होता है। पेट से गहरी सांस लेने से ऑक्सीजन इंटेक को बढ़ावा दिया जाता है। बाहर जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड के लिए शरीर के अंदर ऑक्सीजन की सही मात्रा पाई जाती है। ये दिल की नज़र को धीमा कर सकता है। नॅक्स को कम या स्थिर कर रिलैक्स फाइल किया जा सकता है। इसमें छाती और कंधे का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
3 विषाक्त गतिविधि को ना कहें (No to Toxic Activity)
किसी भी तरह की एक्टिविटी को ना कहें, जो आपकी प्रोडक्टिविटी को कम कर दे। आपके मूड को प्रभावित कर दे। आपको सब कुछ हर समय करने की आवश्यकता नहीं है। अपने आप को प्राथमिकता दें। यदि आप किसी भी प्रकार के टॉक्सिक संबंध में हैं, तो उसे समाप्त कर देना चाहिए। मन को व्यथित करने वाली भावनाएं और लोगों से निराशा। अपनी भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित करें। ख़ुशी का एहसास वुल्वे वाले काम करें।।
4 सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देना (Social Interaction)
इंसान एक सामाजिक जीव है। इसलिए खुद को सोशल इंट्रोडक्शन को प्राथमिकता देने के लिए कहें। अपने आस-पास के लोगों से बातें करें। तुम प्यार करते हो उनसे, उनके साथ मिलकर-मिलते हैं। अकेले नहीं रहना। अपने आस-पास के लोगों से बातें करें।आनंद लें सोशल इंटरेक्शन।। इससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। यह आपके मूड पर प्रभाव डाल सकता है। इससे आपको ख़ुशी का एहसास हो सकता है। सामाजिक संपर्क मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत बढ़िया है। इससे जुड़े अंकों पर विश्वास बढ़ता है। सुरक्षा, अपनेपन की भावना को भी बढ़ावा देती है।
यह भी पढ़ें: खराब और अधूरी तबीयत से परेशान हैं तो सोने से पहले पिएं चेरी का रस, वैज्ञानिक कर रहे हैं सलाह