
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आप के सेवक’ और हमारी सरकार ‘सेंगोल’ को प्रयागराज के आनंद भवन से निकालकर ले आई है। आनंद भवन नेहरू परिवार का निवास स्थान था, जिसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर जबदस्त ध्यान साधते हुए शनिवार को कहा कि 1947 में अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक ‘सेंगोल’ (राजदंड) को आजादी के बाद उचित सम्मान देना चाहिए था, लेकिन इसे प्रयागराज के आनंद भवन में ‘छड़ी’ के रूप में चित्रित किया गया। मोदी ने रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर यहां अपने निवास स्थान पर तमिलनाडु के पुजारियों से ‘सेंगोल’ प्राप्त करने के बाद यह टिप्पणी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आप के सेवक’ और हमारी सरकार ‘सेंगोल’ को प्रयागराज के आनंद भवन से निकालकर ले आई है। आनंद भवन नेहरू परिवार का निवास स्थान था, जिसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया है। मोदी ने कहा कि ‘सेंगोल’ की अहमियत न सिर्फ इसलिए है, क्योंकि यह 1947 में सत्ता हस्तांतरण का पवित्र प्रतीक था, बल्कि इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पूर्व-औपयोगिक भारत की गौरवशाली परंपराओं को स्वतंत्र भारत के भविष्य से प्रेरित करता है।
मोदी ने कहा कि आज़ादी के बाद पवित्र ‘सेंगोल’ को यदि उचित सम्मान दिया जाता है, तो अच्छा होता है, लेकिन इसे प्रयागराज के आनंद भवन में ‘छड़ी’ के तौर पर चित्रित करने के लिए रखा गया। उन्होंने कहा कि 1947 में अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर सवाल उठ गया था और सी राजगोपालाचारी और गैरम के मार्गदर्शन में ‘सेंगोल’ के माध्यम से प्राचीन तमिल संस्कृति से सत्ता हस्तांतरण का पवित्र जरिया ले लिया गया था। प्रधान मंत्री ने कहा कि सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर 1947 में तिरूवदुतुरई के असक्षम ने विशेष रूप से ‘सेंगोल’ बनाया था। उन्होंने कहा, “आज उस दौर की तस्वीरें हमें तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच गहरे समुद्र के बंधन की याद दिला रही हैं। आज इतिहास के चश्मे से इस गहरे बंधन की गाथा जीवंत हो उठी है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “हमें यह भी पता चला है कि इस पवित्र प्रतीक के साथ कैसा व्यवहार किया गया है।”
मोदी ने राजगोपालाचारी और अक्षम्य की दूरदर्शिता की प्रशंसा करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘सेंगोल’ ने वर्षों की गुलामी के हर प्रतीक की स्वतंत्रता की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि ‘सेंगोल’ को आखिरकार लोकतंत्र के मंदिर में अपना स्थान मिल रहा है, जिसका वह हकदार है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि भारत के महान परंपराओं के प्रतीक ‘सेंगोल’ को नया संसद भवन बनाया जाएगा। मोदी ने कहा कि ‘सेंगोल’ सरकार के लोगों को याद दिलाएगा कि वे लगातार ‘कर्तव्य पथ’ पर चलते हैं और जनता के प्रतिसाद रखते हैं। कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया था कि इस बात का कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं है कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालचारी और जवाहर लाल नेहरू ने ‘सेंगोल’ को ब्रिटेन से भारत को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बताया हो। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि ‘सेंगोल’ के सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बताने वाले सभी दावे ‘फर्जी’ हैं।
अधीर ने रविवार को नए संसद भवन में ‘सेंगोल’ की स्थापना से पहले शनिवार को प्रधानमंत्री को आशीर्वाद दिया। अधम के अभिनंदन करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि वे नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित होंगे और उन्हें आशीर्वाद मिलेगा। अपनी टिप्पणी में मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि दक्षिणी राज्य भारतीय राष्ट्रवाद का गढ़ है। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु के लोगों में हमेशा से सेवा की भावना रही है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की स्वतंत्रता में तमिलनाडु के लोगों के योगदान को महत्व नहीं दिया गया, जिसे दिया जाना चाहिए था।” मोदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “देश के लोगों को पता चल रहा है कि महान तमिल परंपरा के साथ क्या जोड़ा गया है।” प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के कई महान संतों को याद किया, जिन्होंने औपचारिक रूप से उज्जैन, केदारनाथ और गौरी कुंड का उल्लेख किया था। वाराणसी के सांसद के रूप में मोदी ने धर्मपुरम अवास्तविक स्वामी कुमारगुरुपारा के बारे में भी बात की, जो तमिलनाडु से काशी गए थे और केदार घाट पर केदारेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के तिरुप्पनंडल में काशी मठ का नाम भी काशी के नाम पर रखा गया है। प्रधानमंत्री ने वर्षों की गुलामी के बाद भी तमिल संस्कृति को जीवंत बनाए रखने में ऐसी महान परंपरा की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “आपके सभी दाखिले का राष्ट्र के प्रति योगदान के मामले में एक गौरवशाली इतिहास रहा है।
अब समय आ गया है कि इस प्रथा को आगे बढ़ाया जाए और कहीं जाने के लिए काम करने की प्रेरणा ली जाए।” मोदी ने कहा कि मिलियन देशवासी 1947 में गैरम की भूमिका से फिर से परिचित हो गए। प्रधान मंत्री ने कहा, “जो लोग भारत की प्रगति में बाधा डाल रहे हैं, वे हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है कि आपके बीते हुए देश से मिलने वाले आध्यात्मिकता और सामाजिक ताकतों के साथ हम हर चुनौती का सामना करेंगे।” ‘सेंगोला’ के इतिहास और प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बीजेपी और कांग्रेस जारी जुबानी जंग के बीच मोदी की यह टिप्पणी है। कम से कम 25 राजनीतिक दल नए संसद भवन के उद्धाटन समारोह में हिस्सा ले सकते हैं। संदिग्ध के करीब 20 पक्षों ने इस घटना के बहिष्कार की घोषणा की है। विपक्षी दलों का कहना है कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को नए संसद भवन का उद्धाटन करना चाहिए, क्योंकि वे राष्ट्र के प्रमुख हैं।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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