ये यूपीए-1 के राज यानि 2006 की बात है जब लाभ के पद को लेकर विवाद की वजह से सोनिया गांधी को सदस्यता से इस्तीफा देने की रायबरेली से रिटर्न इलेक्शन फाइट करनी पड़ी थी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की एक स्थानीय अदालत ने “मोदी सरनेम” पर उनकी टिप्पणी को लेकर एक आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई है। यह मामला गुजरात के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर एक शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि गांधी ने 2019 में कर्नाटक में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है? कह हुए पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया। कोर्ट ने राहुल गांधी को जमानत भी दे दी और उनकी सजा पर 30 दिन की रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता उनके फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे सके। जनप्रतिनिधि अधिनियम के अनुसार, किसी भी सदस्य को दोषी करार दिया जा सकता है और उसे दो साल या अधिक के कारावास की सजा होने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा। ऐसे में राहुल गांधी की सदस्यता को लेकर तमाम तरह के सवाल भी उठने लगे। ऐसे में आपको शिकायत है कि राहुल गांधी की मां और यूपीए की चेयरपर्स सोनिया गांधी को भी अपनी संसद की सदस्यता से आवेदन करना पड़ा था।
सोनिया गांधी की सदस्यता थी
ये यूपीए-1 के राज यानि 2006 की बात है जब लाभ के पद को लेकर विवाद की वजह से सोनिया गांधी को सदस्यता से इस्तीफा देने की रायबरेली से रिटर्न इलेक्शन फाइट करनी पड़ी थी। सांसद होने के साथ सोनिया को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का फायदा मिलने का मामला बन गया था। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक अगर किसी सांसद या विधायक ने ‘लाभ का पद’ लिया है तो उसकी सदस्यता होगी चाहे वह वेतन या दूसरे से दूसरे के लिए हों या नहीं।
लाभ का पद क्या होता है?
संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ए) के तहत सांसद या विधायक ऐसे किसी और पद पर नहीं हो सकते हैं, जहां अलग से वेतन, अलाउंस या बाकी फायदे मिलते हों। इसके अलावा अनुच्छेद 191 (1)(ए) और सार्वजनिक प्रतिनिधि अधिनियम के सेक्शन 9 (ए) के तहत भी लाभ के कार्यालय में सांसदों-विधायकों को अन्य पद निर्धारण से रोकने का प्रावधान है।