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रामचरितमानस पर भड़के स्वामी प्रसाद मौर्य, दोहों पर आपत्ति जताते हुए की रोक लगाने की मांग

स्वामी प्रसाद मौर्य

एएनआई छवि

समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने रामचरितमानस को लेकर काफी विचार-विमर्श किया है। इस बयान को देने के बाद वो काफी चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने रामचरितमानस को जैसा बताया है।

समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर टिप्पणी की है। इस टिप्पणी के बाद वो चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने रामचरितमानस में लिखे दोहे और चौपाईयां काफी गलत हैं। इन दोहों और चौपयों पर मौर्य ने आपत्तिजनक प्रविष्टि की है।

उन्होंने कहा कि वो हर धर्म का सम्मान करते हैं। धर्म के नाम पर जाति या किसी वर्ग का अपमान करना अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं समझते। इसमें सब लिखा है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस को तुलसीदास ने सिर्फ अपनी खुशी के लिए लिखा है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में कई आपत्तिजनक अंश लिखे हुए हैं। इन अंशों को पुस्तक से हटा दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो पूरी किताब पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कई ऐसे अंश हैं जो आपत्तिजनक हैं। उन्होंने कहा कि किसी धर्म को गाली देने का अधिकार किसी के पास नहीं है। तुलसीदास रचित रामचरितमानस में कई ऐसी चौपाईयां हैं जिनमें उन्होंने शुद्रों को अधम जाति का बताया है। वहीं ब्राह्मण को पूजनीय और शूद्र को सम्मान योग बताया गया है। ऐसा धर्म नाश का कारण बनता है।

बिहार के शिक्षा मंत्री भी दे चुके हैं कंफ्यूजन
बता दें कि कुछ समय पूर्व बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने भी रामचरितमानस को लेकर बयानबाजी की थी। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हिंदुओं के प्रमुख ग्रंथ रामचरित मानस को लेकर विवादिय बयान दिया है। नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने के दौरान उन्होंने कहा कि रामचरितमास समाज को शेयर करने वाला ग्रंथ है। ये समाज में नफरत फैलाता है।

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