हिजाब मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह एक बेंच का गठन करेगी। कर्नाटक में 5 दिनों के बाद होने वाली परीक्षा में हिजाब पहनी हुई छात्राओं को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने की याचिका पर भी सुनवाई होगी। अदालत ने कहा कि वह हिजाब मामले को होली के बाद सूचीबद्ध करेगा। इस मामले में पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ को बताया गया कि हिजाब पर प्रतिबंध के मुद्दों पर उच्च न्यायालय के खंडित फैसले के बाद, लड़कियों को हिजाब पहनने वाली 9 मार्च से शुरू होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
वकील ने कोर्ट के सामने रखी थी ये दलीलें
पिछली सुनवाई के दौरान वकील शादान फरासत ने कहा, “वे हिजाब पहने हुए हैं। यदि वे हिजाब पहनते हैं तो उन्हें परीक्षा हॉल के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। केवल उसी सीमित पहलू पर, अदालत इसे सोमवार या शुक्रवार को सूचीबद्ध करने पर विचार कर सकती है।” फरासत ने छात्रों को बताया कि हिजाब पहनने पर प्रतिबंध के कारण कुछ लड़कियां रोज पढ़ने में चली जाती हैं, लेकिन उन्हें सरकारी लेखा में अपनी परीक्षा के दाखिले होंगे। उन्होंने कहा कि अगर अनुमति नहीं दी गई तो उनका एक और साल खराब हो सकता है।
हाई कोर्ट का फैसला अब भी प्रभावी है
सुप्रीम जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा था, ”मैं संज्ञान लूंगा। पिछले साल 13 अक्टूबर को खंडित फैसले के कारण हिजाब विवाद का स्थायी समाधान नहीं मिला था। दोनों जजों ने मामले को एक वृहद पीठ के विशेष धारण का सुझाव दिया था। कोर्ट ने पिछले महीने कहा था कि वह कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में हिजाब माउंट पर प्रतिबंध से संबंधित मामले में फैसला सुनाने के लिए तीन जजों की याचिका करने पर विचार करेंगे।
पिछले साल कोर्ट ने दिया था ये फैसला
आरोपित है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 15 मार्च, 2022 को अपना फैसला सुनाते हुए हिजाब पर प्रतिबंध जारी रखा था, जिसके खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं। जाम ने हाई कोर्ट को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया था, जबकि दूसरे सदस्यों का मिक्सड धूलिया ने कहा था कि स्कूलों और चालान में कहीं भी हिजाब लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। मिक्स गुप्ता ने कहा था कि किसी समुदाय को अपने धार्मिक सम्मान को स्कूलों में धारण की अनुमति देना ”धर्म निरपेक्षता के विपरीत” होगा, जबकि ग्लोबिया ने कहा था कि मुस्लिम हिजाब की स्थापना केवल ”पसंद का मामला” होना चाहिए ।
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