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स्पार्क एम एस कार्णिक की एकल याचिका ने प्रत्यक्ष सुनवाई के मलिक के अनुरोध को खारिज कर दिया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दो सप्ताह में इस अर्जी पर जवाब देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह जनवरी तक रोक दी।
बंबई उच्च न्यायालय ने एक जमीन के सौदे से जुड़े धन शोधन के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक की जमानत अर्जी पर गवाही देने से मंगलवार को इंकार कर दिया। इस सौदे में भगोड़ा पर्यवेक्षक इब्राहिम और उनके गुर्गे भी शामिल हैं। पूर्व मंत्री नवाब मलिक (62) का जमानत अर्जी विशेष अदालत ने 30 नवंबर को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
स्पार्क एम एस कार्णिक की एकल याचिका ने प्रत्यक्ष सुनवाई के मलिक के अनुरोध को खारिज कर दिया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दो सप्ताह में इस अर्जी पर जवाब देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह जनवरी तक रोक दी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कार्णिक ने मलिक के वकील अमित देसाई से कहा कि सबसे पहले उन्होंने यह बताया कि मामले में अविलंब सुनवाई की आवश्यकता क्यों है। इसके बाद देसाई ने राकांपा के वरिष्ठ नेताओं की आपसी स्थिति के बारे में जागरूक दावों को अदालत में पेश किया।
वकील ने कहा कि मलिक का केवल एक गुर्दा काम कर रहा है और उसे अवैध नागरिकता की आवश्यकता है। उन्होंने अदालत को बताया कि पूर्व मंत्री के परिजन विरोध आंदोलन की प्रक्रिया की शुरुआत करना चाहते हैं, जिसके लिए जांच और मानवाधिकार के साथ बैठक की आवश्यकता होगी। जज ने इसके बाद देसाई से पूछा कि किस उपचार की जरूरत है, वह अदालत में दस्तावेज दायर करेगा।
अदालत ने कहा कि इसके बाद मामले में ईडी से जवाब मांगा जाएगा और उसी के अनुसार आदेश सुनाया जाएगा। जांच एजेंसी की ओर से पेश याचिका अतिरिक्त वकील जनरल अनिल सिंह ने कहा कि इलाज या इससे संबंधित सलाह के लिए वह कभी विरोध नहीं करेंगे। सिंह ने कहा कि पहले गुण-दोष के आधार पर जमानत की अर्जी देना और फिर चिकित्सा आधार का हवाला देते मामले में तुरंत सुनवाई की मांग करना आजकल एक चलन बन गया है। ईडी ने मलिक को इस साल फरवरी में गिरफ्तार किया था। वे अभी भी हिरासत में हैं और यहां के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।
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