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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू एएनएन के लिए मंच पर कुमार विश्वास कविता गाई प्रयागराज: जज ने किरेन रिजिजू के लिए मंच पर सुनी कविता, कानून मंत्री बोले

प्रयागराज समाचार: कॉलेजियम सिस्टम को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच की तल्खी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। यह तल्खी शनिवार को प्रयागराज (प्रयागराज) में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की स्थापना के सौ साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में भी देखने को मिला। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रमनाथ ने हल्के-फुल्के अंदाज में अपने-अपने पक्ष को सही बताने की कोशिश की।

जस्टिस विक्रम नाथ ने मजाकिया लहजे में कहा कि सरकार ने एक ऐसे नेता को कानून मंत्री बना दिया है, जिसने कानून की शिक्षा तो दी है, लेकिन कभी शिकायत नहीं की। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि किरेन रिजिजू अच्छे राजनीतिज्ञों के साथ ही गायक और नर्तक भी हैं, साथ ही बड़े खिलाड़ी भी हैं। हालांकि वह कौन सा खेलता है, यह बताया नहीं जा सकता। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि न्यायपालिका से जुड़े लोग मौन रहते हैं, फिर भी कॉलेजियम विवाद लगातार जारी रहता है।

जस्टिस विक्रम नाथ ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू का नाम लेकर उनके लिए मंच से कुमार विश्वास की चर्चित कविता कोई दीवाना कहता है – कोई पागल होने को भी सुना है। जस्टिस विक्रम नाथ कानून मंत्री के लिए जब कविता गाकर सुना रहे थे तब पूरा कार्यक्रम स्थल ठहाकों से गूंज उठा।

इस मौके पर ये बोले कानून मंत्री
जस्टिस विक्रम नाथ के साथ जुड़कर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह सब की जिम्मेदारी बनती है कि हर कोई पागल और सरल तरीके से न्याय कर सकता है। कहा जाता है कि हमारी वजह से यह ईमेल लगातार जारी रहता है, लेकिन जब हम नहीं बोलते हैं तब भी इस पर चर्चा छिड़ी रहती है और इस पर बहस राय कर विवाद को बढ़ाने का काम किया जाता है। किरेन रिजिजू ने कहा कि कई लोगों के लक्षण होने के बाद टीवी की बहस में शामिल होते हैं और मामले को ब्योजाह टूल देकर उसे राष्ट्रीय मेल बनाने की कोशिश करते हैं।

कानून मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी को भी अपने देश का मालिक नहीं भरना चाहिए। देश के असली मालिक यहां रहने वाली जनता है और बाकी लोग सिर्फ संविधान के पालन के लिए हैं। संविधान ही इस देश का मार्गदर्शक है। कानून मंत्री ने खुद को महान देश के सेवक ने बताया तो साथ ही साथ किसी का नाम लिए बिना कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को बहुत सोच समझकर ही बोलना और फैसला करना चाहिए।

कानून मंत्री ने कहा कि देश की अदालतों में करीब साढ़े चार करोड़ से ज्यादा दोष लंबित हैं। अगर अभी कोशिश नहीं की गई तो बहुत जल्द ही यह संख्या आठ करोड़ का पात्र बन जाएगी और न्याय का इंतजार करते-करते खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को कैसे आसानी से न्याय मिले, इस बारे में डाक टिकट दिया जाना चाहिए। मातृभाषा के साथ ही क्षेत्रीय दायरा में अदालत का कामकाज होना चाहिए। उसका निर्णय होना चाहिए।

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार छोटे-छोटे पंचायतों और न्यायाधिकरणों के माध्यम से मुकदमों को निचले स्तरों पर ही खत्म करने की कोशिश करने लगी है। हालांकि उन्होंने कॉलेजियम की सफाई भी की जिसमें किसी भी मुद्दे पर न्यायपालिका और सरकार के बीच कोई जाति नहीं है। कई बार मीडिया में बेवजह सुरखियां बना देती हैं।

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