छत्तीसगढ़सुकमा

Sukma News : अरिता पोड़ियाम हो या ललिता वंजाम, तेंदूपत्ता संग्रहण से हुआ पैसों का इंतज़ाम

तेंदूपत्ता के बढ़े दाम ने संग्राहकों में जगाई खुशियाँ

गर्मी के दिनों में हरा सोना बन जाती है आमदनी का बड़ा जरिया

गाँवों में चल रहा तेंदूपत्ता संग्रहण का चल रहा सिलसिला

UNITED NEWS OF ASIA. कृष्णा नायक,  सुकमा | सुकमा दोपहर को भले ही गलियों में सन्नाटा पसरा है, फिर भी गाँव के उन अनगिनत लोगों में उत्साह है जो इन दिनों तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य करते हैं। उनका उत्साह सुबह से लेकर देर शाम तक चलता है। आसपास के जंगलों में तेंदूपत्ता तोड़ाई करते ग्रामीण, गठरी या बोरे में बांधकर घर लौटते ग्रामीण या फिर घर की डेहरी, परछियो में एकजुट होकर तेंदू के पत्ते को बंडल बनाकर जमाते हुए ग्रामीण, गाँव के किसी खुली जगह में फड़ प्रभारी की उपस्थिति में इन तेंदूपत्ता के गड्डी को एकबारगी क्रम से सजाते हुए अनायास नजर आ रहे हैं। गाँव के बच्चे, महिलाएं, युवा, बुजुर्ग सभी इस काम में लगे हुए हैं। उन्हें खुशी है कि इस हरे सोने के दाम बढ़ने से उनकी आमदनी भी बढ़ेगी और जितना ज्यादा संग्रहण होगा उतना ही अधिक राशि उन्हें मिलेगी। संग्रहणकर्ताओं में खुशी है कि अब तेंदूपत्ता प्रति मानक बोरा का दाम 4 हजार से 5500 रुपये प्रति मानक बोरा कर दिया गया है।

जिले के सुकमा वनमंडल में सर्वाधिक भू भाग पर जंगल है। इन जंगलो में और गाँव के आसपास खुली जगहों में तेंदुपत्ता भी है। सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन राशि से वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर परिवार तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य करते हैं। यह उनके आमदनी का प्रमुख स्रोत भी है। खासकर गर्मी के दिनों में जब कुछ काम नहीं होता तब तेंदूपत्ते के संग्रहण से उन्हें एक अतिरिक्त आय का जरिया मिल जाता है। ऐसे ही सुकमा परिक्षेत्र के केरलापाल समिति अंतर्गत दूरस्थ ग्राम पातरसुकमा में रहने वाले आदिवासी परिवार की पोड़ियाम अरिता बताती हैं कि आजकल सुबह से हम लोग जंगल की ओर निकल जाते हैं। सिर्फ वे ही नहीं जाते, गाँव में रहने वाले ज्यादातर तेन्दूपत्ता तोड़ने वाले संग्राहक जाते हैं। अरिता बताती है कि सुबह से दोपहर तक पत्ते तोड़ने का काम चलता है। इसके बाद इसे गठरी में बांधकर घर लाते हैं।

दोपहर बाद खाना खाने के बाद फिर से काम शुरू होता है। तोड़े हुए तेंदूपत्ते को 50-50 पत्ते का बंडल बनाकर रखते हैं। पत्ते को साफ कर बंडल बनाया जाता है। घर के परछी पर बंडल बनाते हुए लखमे वेको का कहना है कि वे लोग बहुत ज्यादा दूर नहीं जाते। आसपास जंगल से पत्ता तोड़कर लाते हैं। पेड़ के छाल से रस्सी बनाकर 50-50 पत्तो की गड्डी बनाते हैं। पातरसुकमा निवासी ललिता वंजाम बताती हैं कि इस बार की तुलना में पिछले साल ज्यादा पत्ते नहीं तोड़ पाए थे। इस बार शुरू से लगे हैं। इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि 5500 रुपये प्रति मानक बोरा है। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी। पहले मेहनत भी ज्यादा करना पड़ता था और कीमत भी कम मिलती थी। अब दाम बढ़ने से मैं ही नहीं अन्य संग्राहक भी खुश है और बड़े उत्साह के साथ पत्ते तोड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि तेन्दूपत्ता से जो राशि मिलेगी उसका उपयोग घर बनाने के लिए करने का मन बनाया है।

अपने घर के आसपास तेन्दूपत्ता तोड़ने में व्यस्त पोडियाम देवा ने बताया कि वे जितना ज्यादा पत्ता तोड़ेंगे उन्हें उतनी ही राशि मिलेगी। पहले 2500, फिर 4000 और अब 5500 रुपये प्रति मानक बोरा मिलता है। यह दूर-दराज में रहने वाले ग्रामीणों के आर्थिक आमदनी का महत्वपूर्ण जरिया है। यह खुशी की बात है अब पहले से ज्यादा पैसा मिलेगा। पोड़ियम देवा ने बताया कि तेन्दूपत्ता संग्राहकों का कार्ड भी बना हुआ है। इसके माध्यम से बीमा सहित पढाई करने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति की सुविधा भी मिलती है। सभी तेंदूपत्ता संग्राहकों ने प्रति मानक बोरा में वृद्धि के लिए खुशियां जताते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को धन्यवाद भी दिया।

डीएफओ सुकमा अक्षय भोंसले ने बताया कि सुकमा जिले में इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए 108000 मानक बोरा तेंदूपत्ता खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 25 प्राथमिक लघु वनोपज समितियों के अंतर्गत 725 संग्रहण केंद्र या फड़ के माध्यम से तेंदूपत्ता खरीदी का कार्य किया जा रहा है। तेंदूपत्ता के अवैध भंडारण और परिवहन को रोकने के लिए वन विभाग के द्वारा उड़नदस्ता की टीम बनाई गई है। किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।

 


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