
छत्तीसगढ़ के बस्तर में केंद्र सरकार की योजना को जमीनी स्तर पर पहुंचाने में प्रशासन बुरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। केंद्र की अन्य योजनाओं के साथ ही भ्रूण हत्या रोकने के लिए केंद्र सरकार की अवसरवादी योजना में से एक सुकन्या समृद्धि योजना बस्तर में दम तोड़ती नजर आ रही है। इस योजना के तहत बेटियों को मिलने वाले लाभ बेटियों तक पहुंचने में प्रशासन की नाकामी साबित हो रही है। बस्तर संभाग के सभी 7 जाली का यही हाल है। यहां इस योजना के तहत बेटियों को लाभ मिल रहा था, वह नहीं मिला।
लाभ से महरूम है बेटियां
बस्तर जिले में ही बीते 3 साल में 28 हजार बेटियों का जन्म हुआ, लेकिन इस योजना के तहत सिर्फ 5 हजार खाते ही नामांकन हुए हैं। हालांकि, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी इस दोषी को लेकर बेलीबाड़ी खाते को जिम्मेदार बनाए हुए हैं। जबकि सच्चाई यह है कि प्रशासन के किसी भी बड़े अधिकारी ने इस योजना को अपने नाम में नहीं लिया है। लांवाडा, बस्तर संभाग में इस योजना का लाभ यहां की त्रैमासिक माताओं को उनकी बेटियों के भविष्य के लिए नहीं मिल पा रहा है।
विभाग की ओर से बरती जा रही जेसी
दरअसल, कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और बाल विवाह व शिक्षा की चिंता दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की थी। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत देश के 10 साल की उम्र से कम की बालिकाओं की भविष्य को आर्थिक तंगी से बचाने के लिए इस योजना को संचालित किया गया है। इस योजना के खाताधारकों को सागर राशि पर 7.6 की दर से लाभ प्रदान किया जाता है, जो टैक्स मुक्त होता है, लेकिन इस योजना का लाभ बस्तर के हितग्राहियों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
केंद्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव के कारण बस्तर जिले में पिछले 3 साल में अब तक केवल 5 हजार बेटियों के ही खाते हैं, जबकि इन तीन वर्षों में 28 हजार बेटियों ने जन्म लिया है था।
इस योजना का लाभ अधिक से अधिक बेटियों को देने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी और बेलीबाड़ी कार्यकर्ता को एक लक्ष्य दिया जाता है, जिससे लोग उनसे संपर्क कर उनकी बेटियों के नाम पर बैंक या पोस्ट ऑफिस में खाता बना लेते हैं, लेकिन बेलीबाड़ी उम्मीदवारी के इस काम में बड़ा एक जैसा सामने आ रहा है। इसी वजह से पिछले 3 साल में लक्ष्य के 20 प्रतिशत भी अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग चूक गया
दरअसल, इस योजना के तहत बाल आंखों के माता-पिता अपनी आय के होश से अपनी बेटी के फायदों में राशि जमा कर सकते हैं। महिला बाल विकास विभाग के अनुसार इस योजना के लिए मतदाता खाताधारक अपने खाते में 250 रुपये से लेकर 5000 से अधिक की राशि जमा कर सकते हैं। इस योजना का प्रचार-प्रसार नहीं किए जाने के साथ पोस्ट ऑफिस की घबराहट के कारण भी लोग अपनी बेटियों के अति भविष्य के लिए इस योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं।
हालांकि, महिला एवं बाल विकास के अधिकारी का कहना है कि इस योजना का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर जितना प्रचार किया जाना चाहिए, उतना पा नहीं रहा है। उसी के साथ विभाग के लोग भी इसमें शामिल बरत रहे हैं। ऐसे में लक्ष्य को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार किया जाएगा।



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