छत्तीसगढ़

ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी आवश्यक: सांसद बृजमोहन अग्रवाल

Virgin Land Security Summit 2025 में बोले – बंजर भूमि के उपयोग से बढ़ेगी किसानों की आय, लौटेगी कृषि में ऋषि परंपरा

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, नई दिल्ली । रायपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद व पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मंगलवार को कहा कि देश की कृषि नीति को अब ऑर्गेनिक, आयुर्वेदिक और प्राकृतिक खेती की ओर मोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने केंद्र सरकार से जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु विशेष सब्सिडी और नीति समर्थन की मांग की।

नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित “National Conclave on Empowering Virgin Lands” (Virgin Land Security Summit 2025) को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर दी जा रही सब्सिडी की तर्ज पर अब जैविक खेती पर भी सब्सिडी देना समय की मांग है। इससे न केवल पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा होगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी सुरक्षित रहेगी।

उन्होंने कहा,

“छत्तीसगढ़ में कृषि मंत्री के रूप में मैंने हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर और डेयरी सेक्टर में कई योजनाएं शुरू की थीं, परंतु किसानों की भागीदारी सीमित रही। अब आवश्यकता है कि कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के माध्यम से किसानों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जाए और उन्हें वैकल्पिक फसलों की ओर प्रेरित किया जाए।”

सांसद ने कहा कि देशभर में फैली लाखों हेक्टेयर बंजर भूमि को यदि तकनीकी मदद और उपयुक्त फसल चयन के साथ पुनः उपयोग में लाया जाए, तो यह किसानों की आमदनी बढ़ाने का बड़ा साधन बन सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि परंपरागत फसलों जैसे धान और गेहूं पर अत्यधिक निर्भरता को कम कर जैविक, हर्बल और वैदिक फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

उन्होंने चिंता जताई कि लगातार बोनस और सब्सिडी सिर्फ धान-गेहूं पर केंद्रित रही तो बाकी खेती की विधाएं समाप्त हो जाएंगी।

“आज छत्तीसगढ़ का किसान धान पर ही केंद्रित है, जिससे प्रति एकड़ 40 हजार रुपए तक की बचत हो रही है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह कृषि संतुलन के लिए हानिकारक है,” उन्होंने कहा।

नीति-स्तरीय हस्तक्षेप और जागरूकता की जरूरत
अग्रवाल ने वर्जिन लैंड को कृषि उपयोग में लाने के लिए नीतिगत समर्थन, वित्तीय सहायता और जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा,

“यदि सरकार किसानों को प्रशिक्षित कर वर्जिन लैंड के समुचित उपयोग हेतु प्रोत्साहित करे, तो भारत एक बार फिर ऋषि परंपरा की ओर लौट सकता है, जहां खेती न केवल आजीविका का साधन थी, बल्कि जीवनशैली का अभिन्न अंग भी।”

सम्मेलन में ओडिशा के उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन देव, भारतीय किसान संघ के महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा, कृषि वैज्ञानिक, CSR प्रतिनिधि और देशभर से आए कृषि विशेषज्ञों ने भी विचार साझा किए।

कार्यक्रम के अंत में सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आयोजन के लिए दीपक जी और उनकी टीम को धन्यवाद दिया और कहा कि,

“ऐसे आयोजन देश की कृषि नीति के पुनर्गठन और किसानों में वैकल्पिक कृषि पद्धतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं।”   

 


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