हवाई अड्डे की सुरक्षा में चूक: विमान में सामान लोड करते समय यात्रियों के चेक-इन बैगेज से दस्तावेज सामान और नगदी चोरी करने वाले आठ लॉगर्स को इंदिरा गांधी अंतर्राष्य एयरपोर्ट पुलिस ने शनिवार को दर्ज किया है। इन लोडर्स की अटैचमेंट के साथ यह बात भी सामने आई कि ये सभी लोडर्स चोरी के सामान को पहले एयरपोर्ट टर्मिनल में छिपाते थे और मौका मिलते ही उसे डिलीट कर एयरपोर्ट से बाहर निकाल देते थे।
गोपनीय के इस खुलासे के साथ एयरपोर्ट की सुरक्षा संभाल रहे सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (सीआईसीआई) की चौकसी पर भी नए सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल, एयरपोर्ट पर यात्रियों के चेक-इन बैगेज से कीमती सामान चोरी करने के लिए नए नहीं हैं। करीब डेढ़ दशक से आईजीआई एयरपोर्ट पर इस तरह से चलने वाली हैं। 2009 में हुई चोरी की इन घटनाओं को रोकने के लिए साइबर की तरफ से कुछ अहम जजमेंट के लिए गए थे।
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आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
एक दशक पहले चोरी रोकने के लिए CISF ने लिया था यह फैसला
इन दस्तावेज़ के तहत, एयरपोट टर्मिनल और एयरसाइट में लोडर के प्रवेश और प्रवेश के लिए निर्धारित किए गए थे। अब एयरपोर्ट कर्मी केवल निर्धारित गेट्स के रास्ते टर्मिनल बिलिंग और एयरसाइट्स में प्रवेश और निकासी कर सकते हैं। इसी के साथ, प्रवेश और पहचान के दौरान, सीआईएसएफ के सभी नए दर्ज कराएं स्टाफ और लोडर्स की हैंड हेल्ड मैटल डिटेक्टर (एचएचएमडी) और डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (डीएमडी) से जांच करते थे।
मंडल के तत्काल उपमहानिरीक्षक की ओर से इस व्यवस्था का काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला था। चोरी की घटनाओं पर तेजी से लगाम कसी जा सकी थी। इसके बाद, इस व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ नए कदम स्वीकृत किए गए। इन डॉक्युमेंट में सिटी से सभी बर्नेबल पॉवर्स की निगरानी और विमान में सामान लोड करते समय पोर्टेबल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल तेजी से शुरू किया गया।
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डॉक्यूमेंट्स और सवालों के कारण होने लगीं
चोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए आठ लॉगर्स के जब कोई बड़ी मात्रा में ज्वेलरी और कैश की बरामदगी हुई है, उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आईजीआई एयरपोर्ट पर चोरी की स्थिति में किसे सूरत पर हो जाएगा। वहीं, पूछताछ में विवरण लॉगर्स ने यह भी खुलासा किया कि वह चांस पाकर इस चोरी के सामान को एयरपोर्ट से बाहर निकाल लेते थे। ऐसा उन्होंने एक-दो बार नहीं, बल्कि कई बार किया था।
चोरी के आरोप में गिरफ्तार लॉगर्स के इस खुलासे के बाद यही लगता है कि लदान दशक पहले चोरी की स्थिति को रोकने के लिए जो कदम जमा किए गए थे, उन्हें वापस ले लिया गया है, यदि वह कामद अभी भी लागू हैं, तो इसमें भारी है कास्ट बरती जा रही है। यहां आपको बता दें कि पिछले दिनों विदेश से आई एक महिला संबंध के सील्स पर ज्वेलरी चोरी का आरोप लगा है। एयरपोर्ट पर दोबारा खुलने के बाद अब तक सीआईएसएफ के सामने ऐसी स्थिति शायद ही पहली बार आई हो।
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चोरी का शिकार ज्यादातर मुसा फिर अपनी शिकायत दर्ज न करें
एविएशन सिक्योरिटी से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, चोरी के मामलों की वास्तविक संख्या दर्ज किए गए मामले से कहीं अधिक है। दरअसल, चेक-इन बैगेज से चोरी करने वाले ये लोडर्स की अपनी अलग गणना है। इस गणना के तहत, वह ज्यादातर एयरपोर्ट से डिपार्ट होने वाली फ्लाइट में इस तरह की निगरानी को अंजाम देते हैं। इसकी दो हेंज़ है। चोरों को आभास हो जाता है कि गैंटवीय एयरपोर्ट पर चोरी होने का पता घर के होने का लगता है, ऐसे में ज्यादातर लोग मामला दर्ज होने से बचाते हैं।
उनका यह भी मानना है कि कोई पुलिस थाना भी चला जाए तो वहां के पुलिस मामले दिल्ली की बात बताकर दाखिल होने में आनाकानी करती है। यदि किसी तरह का मामला दर्ज हो जाता है तो चोरी की छोटी सी दिखने के लिए उस शहर की पुलिस दिलली आकर जांच करने की जद्दोजहद से बचती है। इस तरह, चेक-इन बैगेज से चोरी के ज्यादातर मामले में पुलिस तक नहीं पहुंचती है और उसके बारे में घबराहट महसूस होती है।
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पहले प्रकाशित : 15 जनवरी, 2023, 13:24 IST