बता दें कि तिग्मांशु धूलिया ‘हासिल’ की कहानी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति और इसमें होने वाली कड़वाहट पर आधारित थी और अब ‘गर्मी’ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। तिग्मांशु चाहते थे एक बार फिर से वो ‘हासिल’ का दरवाजा खटखटाया और जब ऐसा हुआ तो अंदर देखा कि 20 साल बाद माहौल में क्या-क्या बदलाव आया है। उन्होंने कहा, ‘हमने 2000 में फिल्म की शूटिंग शुरू की थी और 2003 में फिल्म रिलीज हुई थी और अब 2023 में कितना माहौल बदल गया है, कितना समाज बदल गया है, जो युवा हैं उनकी गलत-सही का मान कितना बदल गया है । जैसी कहानी हासिल करो तो मिली और ये नई है, एक नई कहानी गढ़ी जाए बस यही कोशिश थी। वो माहौल बहुत गर्म है, इसलिए ये नाम सबसे सही लगे।’
महान फिल्मकार के. आसाहिब की बायोपिक
इसी बातचीत में तिग्मांशु धूलिया ने बताया कि वो ‘मुगल-ए-आज़म’ के निर्माता के। आ परसिफ फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इनफैक्ट मैं इस पर काम कर भी रहा हूं। मैं फिल्म मुगल-ए-आजम बनाने वाले महान फिल्मकार के। आ साहब की बायॉपिक बनी। मैंने उनकी बायॉपिक की स्टोरी राइट का काम लगभग पूरा कर लिया है, इस समय स्क्रिप्ट क्रिएट करने का काम हो रहा है। यह एक बड़े बजट की एपिक फिल्म होगी। आसिफ साहब की जिंदगी की कहानी और मुगल ए आजम की मेकिंग का मुख्य हिस्सा होगा।’
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‘आसिफ साहब को उपरवाले ने सिर्फ एक ही काम के लिए भेजा था’
उन्होंने आगे कहा, ‘देखिए आसिफ साहब ने अपनी पूरी लाइफ में सिर्फ इतनी फिल्में बनाई हैं, उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनाई है जो खून खर्चीला पानी बना चुकी है, हालांकि उनकी यह फिल्म अधूरी रह गई थी, लेकिन उनकी फुटेज देखने से पता चलता है कि वह कितने महान हैं फिल्मकार थे। आसिफ साहब जैसी नज़र तो किसी और की हो ही नहीं सकती। आ साहब सिफ़ को उपरवाले ने सिर्फ एक ही काम के लिए भेजा था कि वह मुगल एज़म बना दें। आसिफ साहब ने ऊपरवाले का फरमान पूरा कर दिया। मुगल ए आजम तुक्के द्वारा बनाई गई फिल्म नहीं थी, वह एक बेहतरीन फिल्म थी और बेहतरीन फिल्म बनी रहेगी।’
अभी तक बचाने को लेकर कुछ नहीं सोचा है
जब उनसे पूछा गया कि इस फिल्म में किन्हें वो के. आ साहब की भूमिका में देखना चाहते हैं? तो इस पर उन्होंने कहा, ‘ये बताएं अभी जल्दबाजी होगी। अभी तक बचाने को लेकर कुछ नहीं सोचा है, अभी स्क्रिप्ट का काम ही कर रहा हूं। अभी अंजाम पर कुछ भी कहना अधकचरी बात होगी। आज के सभी एक्टर्स बहुत कमाल के हैं, डिसिप्लिंड हैं, ऐक्टिंग की समझ रखते हैं, ऐक्टिंग की पढ़ाई करके आए हैं। जो भी ऐक्टर के आसिफ की भूमिका करना चाहेगा, वह इस फिल्म की विषयवस्तु और ग्रेटाइट्स को समझेगा, तभी फिल्म से जुड़ेगा।’
इस फिल्म के लिए आसिफ गर्म रेत पर नंगे पैर भी चले थे। आसिफ
बता दें कि के. आसिफ वो डायरेक्टर हैं जिन्होंने अपने करियर में केवल 2 ही फिल्में डायरेक्ट की हैं। ‘मुगल-ए-आजम’ बनाने के लिए आसिफ ने लंबे समय तक तैयारी की। दरअसल उनके दिमाग में पहले ही से सेट हो गया था कि वो फिल्म की क्वॉलिटी से कॉम्प्रोमाइज नहीं करेंगे और ऐसा ही हुआ भी। बताया जाता है कि ‘मुगल-ए-आजम’ बनने में करीब 13 साल लग गए थे। कहते हैं कि इस फिल्म के लिए आसिफ गर्म रेत पर नंगे पैर भी चले गए थे और उस जामने में एक गाने पर 10 लाख रुपये खर्च कर दिए थे। कहा जाता है कि ‘प्यार किया तो डरना क्या’ के लिए 105 साइन्स को रिजेक्ट कर दिया गया था और कहते हैं कि फिल्म रिलीज के बाद सभी रेकॉर्ड्स को उतना ही ऊंचा करती है जितना कि उन्होंने फिल्म बनाने के दौरान संघर्ष किया था।
जवानी तक उन्होंने अपना सब कुछ गरीबी में गुजारा
के. आ उत्तर प्रदेश के इटावा में पैदा हुए थे। वह सिर्फ 8वीं क्लास तक पढ़े थे। दर्शक हैं कि जन्म लेने से लेकर आने तक जवानी तक वे गरीबी में रहते थे। वह अपनी इस एक फिल्म से इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारों में से एक बन गए।