
UNITED NEWS OF ASIA. रोहिताश सिंह भुवाल, दुर्ग | विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर भारती विश्वविद्यालय में “स्तनपान को प्राथमिकता दें” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देना तथा स्तनपान के महत्व पर व्यापक जनजागरूकता फैलाना था।
संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। मुख्य वक्ता बी.पी.एन.आई. प्रमाणित राष्ट्रीय प्रशिक्षक डॉ. ओमेश खुराना ने स्तनपान के वैज्ञानिक, हार्मोनल और सामाजिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की और प्री-लैक्टीयल फीडिंग जैसे गलत आचारों के दुष्परिणामों से आगाह किया।
प्राचार्य प्रो. डॉ. मानस रंजन होता ने डॉ. खुराना को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में डॉ. किरण खुराना, डॉ. आलोक भट्ट, डॉ. गिरिजाशंकर पटेल, डॉ. प्रतीक योनातन (प्राचार्य, नर्सिंग कॉलेज), डॉ. अशोक विश्वकर्मा (अधीक्षक, भारती आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज), एवं डॉ. सपना पांडे (सहायक प्राध्यापक, फूड एंड न्यूट्रिशन) सहित अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे।
लगभग 200 बी.ए.एम.एस., बी.एससी. नर्सिंग तथा डाइटेटिक्स एवं न्यूट्रिशन विभाग के विद्यार्थी एवं शिक्षक इस संगोष्ठी में शामिल हुए। वक्ताओं ने स्तनपान को शिशु के लिए सर्वोत्तम, प्राकृतिक और लाभकारी आहार बताते हुए समाज में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया।
डॉ. अशोक विश्वकर्मा ने फॉर्मूला दूध के मुकाबले घर के पौष्टिक आहार और सूखे मेवे, जैसे बादाम, को सुरक्षित विकल्प बताया। एनएफएचएस-5 के अनुसार भारत में 80.2% माताएं छह माह तक स्तनपान कराती हैं, फिर भी कुपोषण की समस्या बनी हुई है। इसे WHO द्वारा जारी नीतियों जैसे गोल्डन ऑवर में स्तनपान की शुरुआत और त्वचा से त्वचा संपर्क के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
संगोष्ठी न केवल शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही, बल्कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य जागरूकता को समाज तक पहुंचाने का प्रभावी माध्यम भी साबित हुई।
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