मतदाता है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में तीन दिसंबर को छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियां, संलग्न संलग्नक और अन्य त्रुटियों के लिए न्यूनीकरण) संशोधन, 2022 और छत्तीसगढ़ आयकर संस्थान (प्रवेश में न्यूनाधिक) संशोधन 2022 पारित किया गया था।
छत्तीसगढ़ में बताए गए कथनों को लेकर राजभवन और राज्य सरकार के बीच मनमुटाव के बीच राजभवन के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल प्रावधानों को लेकर राज्य शासन के जवाब से फैसले नहीं हैं। वहीं, भूपेश बघेल ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि राज्यपाल उपायों को रोकना चाहते हैं। मतदाता है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में तीन दिसंबर को छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियां, संलग्न संलग्नक और अन्य त्रुटियों के लिए न्यूनीकरण) संशोधन, 2022 और छत्तीसगढ़ आयकर संस्थान (प्रवेश में न्यूनाधिक) संशोधन 2022 पारित किया गया था।
लोकोक्तियों के अनुसार, राज्य में लोकेटर जनजातियों को 32 प्रतिशत, अन्य लेटरा वर्गों को 27 प्रतिशत, सोर्सर को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए चार कारकों का प्रावधान किया गया है। सूत्रों के अनुसार, विधानसभा में लंबित होने के बाद जब इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया, जिस पर राज्यपाल ने राज्य सरकार से 10 सवालों के जवाब मांगे। सरकार ने राजभवन को जवाब भेजा है। सूत्र ने बताया, राजभवन ने कहा है कि राज्य सरकार क्वांटिफिएबल डाटाबेस कमीशन की भी रिपोर्ट राजभवन को प्रस्तुत नहीं करती है।
वहीं, बघेल ने बुधवार को रिपोर्ट से बातचीत के दौरान कहा, उनका जो जवाब दिया था, हमने दे दिया है। उन्हें नहीं रखना है। अब दूसरे प्रश्न आए, फिर जवाब दें तो फिर प्रश्न आए। इसका मतलब साफ है कि जो बातें वापस नहीं करना है और राष्ट्रपति के पास बोल्ड नहीं है। उसे अपने पास रखिए। और लोग आलोचना करेंगे तब यह घुल जाएगा कि मैंने प्रश्न पूछा है। भोपाल ने कहा, जब भी सवाल आएगा और मैं हर बार उत्तर दूंगा लेकिन इसका मतलब क्या है, वह देरी करना चाहती हैं, वह लागू नहीं करना चाहती हैं।
यही तीन विकल्प हैं कि यदि कार्य नहीं हैं तो पूर्ण राज्य सरकार को वापस कर दें। उन्हें राष्ट्रपति को भेज दें और तीसरा कि जब तक वे राज्यपाल हैं, तब तक वे अनंतकाल तक रख सकते हैं। यह जो प्रश्न भेजा जा रहा है उसके संविधान में कोई उल्लेख नहीं है। क्या विधानसभा से बड़ी कोई विधिक सलाह बन सकती है। प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत है उससे बड़ा कोई हो सकता है। उन्होंने कहा, EWS को मिलाकर संसद में और सुप्रीम कोर्ट में निष्कर्ष को लेकर 50 प्रतिशत की सिलिंग से भी पार हो गए तब इसमें रुकावट क्यों आएगी। बीजेपी के लोग बताते हैं कि लोगों को नारियल पीना नहीं चाहिए।
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