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सौम्या चौरसिया, समीर बिश्नोई और रानू साहू को मिली राहत, राज्य से बाहर रहने का आदेश

UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला और डीएमएफ घोटाले के मुख्य आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत से सशर्त अंतरिम जमानत मिलने के बाद निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, समीर बिश्नोई और पूर्व मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चौरसिया को रायपुर केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया। रिहाई की शर्त के तहत सभी आरोपी छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर रहेंगे।

इन सभी आरोपियों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग, सरकारी पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया था। करीब दो वर्षों की न्यायिक हिरासत के बाद अब इन्हें सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है।

 क्या है कोयला घोटाला मामला?

ED के अनुसार, छत्तीसगढ़ में कोयले के परिचालन और परिवहन में नियमों की अनदेखी कर करीब ₹570 करोड़ का घोटाला किया गया।

  • ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन कर अवैध वसूली की गई।

  • आदेश IAS समीर बिश्नोई द्वारा जुलाई 2020 में जारी किया गया था।

  • व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड बताया गया है।

  • कोल ट्रांसपोर्ट परमिट उन व्यापारियों को ही मिलता था जो 25 रुपए प्रति टन की रिश्वत चुकाते थे।

  • इस मामले में अब तक 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।

 DMF घोटाले की परतें भी खुलीं

DMF (District Mineral Foundation) फंड का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए खर्च करना है, लेकिन जांच में सामने आया कि इसमें भी भारी आर्थिक अनियमितताएं हुईं।

  • टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर कर खास ठेकेदारों को लाभ पहुँचाया गया।

  • अधिकारियों को 25 से 40 प्रतिशत तक कमीशन दिया गया।

  • फर्जी फर्मों और डमी कंपनियों के जरिए लेन-देन हुए।

  • ED और EOW की कार्रवाई में 76.5 लाख नकद, फर्जी दस्तावेज, स्टांप पेपर, डिजिटल डिवाइसेस और सील किए गए बैंक अकाउंट्स सामने आए।

 अब तक ये बड़े नाम हैं जांच के घेरे में

  1. रानू साहू – निलंबित IAS अधिकारी, पूर्व कलेक्टर रायगढ़ व कोरबा

  2. समीर बिश्नोई – तत्कालीन खनिज संचालक

  3. सौम्या चौरसिया – पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव

  4. सूर्यकांत तिवारी – कोयला व्यापारी व मुख्य मास्टरमाइंड

  5. संदीप नायक, शिवशंकर नाग, लक्ष्मीकांत, मोइनुद्दीन कुरैशी सहित अन्य व्यापारी और अफसर

 जांच एजेंसियां सक्रिय

  • ED (प्रवर्तन निदेशालय) और

  • ACB-EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो)
    दोनों एजेंसियां इस घोटाले की गहराई से जांच कर रही हैं। डीएमएफ और कोयला परिवहन से जुड़ी फाइलों, टेंडरों, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन और राजनीतिक संबंधों की भी परतें खोली जा रही हैं।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

इस मामले ने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था, राजनीतिक ईमानदारी और सरकारी ट्रस्टों में पारदर्शिता को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रहा है, जबकि आरोपियों के रिहा होने के बाद एक बार फिर मामले ने तूल पकड़ लिया है।

 


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