
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर | छत्तीसगढ़ में बीएड धारी सहायक शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में सोमवार सुबह से बीएड सहायक शिक्षक मौन प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक सेवा समाप्ति का आदेश रद्द नहीं किया जाता, तब तक वे धरने पर बैठे रहेंगे।
पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों के तहत डीएड योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्राथमिकता से करने के आदेश जारी किए गए हैं। इसी क्रम में लोक शिक्षण संचालनालय ने बस्तर और सरगुजा संभाग के बीएड धारी सहायक शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का निर्देश दिया है। इस आदेश के बाद राज्य भर के बीएड सहायक शिक्षक नाराज हैं और अपनी नौकरी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
शिक्षकों की मांग और विरोध
बीएड सहायक शिक्षक पहले से ही 19 दिसंबर से नवा रायपुर तूता धरना स्थल पर समायोजन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। जब 12 दिनों तक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उन्होंने जल सत्याग्रह भी शुरू किया। अब सेवा समाप्ति के आदेश जारी होने के बाद यह विरोध और अधिक उग्र हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देश
कोर्ट के निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि सहायक शिक्षक के 2855 पदों पर डीएड योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ की जानी है। इसके तहत बीएड योग्य शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
प्रदर्शनकारियों की अपील
प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि यह आदेश उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सेवा समाप्ति के आदेश को तुरंत रद्द कर समायोजन का रास्ता निकाला जाए। उनका यह भी कहना है कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो यह प्रदर्शन व्यापक रूप ले सकता है।
स्थिति का प्रभाव
राज्य सरकार और लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश से प्रभावित बीएड सहायक शिक्षकों की संख्या बड़ी है। सरकार पर बढ़ते दबाव और शिक्षकों के विरोध को देखते हुए इस मुद्दे का समाधान करना आवश्यक हो गया है।
“हमारी मांग है कि हमें समायोजन दिया जाए, न कि हमारी सेवाएं समाप्त की जाएं। यह हमारा हक है और इसके लिए हम अंत तक संघर्ष करेंगे।” – प्रदर्शनकारी शिक्षक



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