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बालाजी धाम में श्रीमद्भागवत कथा पत्नी संग प्रमोद भाया नृत्य, रोजाना आते हैं 70 हजार श्रद्धालु

बालाजी धाम श्रीमद्भागवत कथा: बड़ें के बालाजी धाम में विराट श्रीमद् भगत कथा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जहां प्रतिदिन 70 हजार से अधिक श्रद्धालु भक्ति सागर में झूम रहे हैं। मालवा के दिव्य गौसेवक संत पं। प्रभूजी नागरिक ने बड़ां के बालाजी धाम में श्री महावीर गौशाला कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित विराट श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के तृतीय सोपान में कि जीवन में जब कोई बात बिगडने लगे, झल्लाएं बढ़ें तो परमात्मा से प्रार्थना करें। कहो कि हे प्रभू, चढ़ाये तो तेरसड़ी ही चढ़ना और गिराये तो तेरे चरणों में ही गिराना।

रविवार को खचाखच विदेश विराट पंडित में पूज्य नागरजी ने कहा कि हमारी भक्ति में मीरा जैसा भाव हो। हमें सत्संग से जो सदज्ञान मिलता है, उसके आचरण में उतरें। उन्होंने कहा कि याद रखें, जीवन में भौतिकता कितनी भी आ जाए, नास्तिकता कभी नहीं मिलती। देखते ही देखते भजनों की बयार चले और गोपालन और खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया (प्रमोद भाया) और उनकी पत्नी जिला प्रमुख उर्मिला भाया भक्ति भाव से झूम उठे और भारी नाचे। इस दृश्य को जिसने भी देखा वह निहारते रहे कि इतने बड़े सूबे के मंत्री निश्चित कैसे झूम रहे हैं।

फैशन के इस दौर में विवेक की इच्छा न रखें

पान। नागरजी ने कहा कि जब कैकेयी ने कहा था कि मेरा भरत राम से बढ़ रहा है, तो दूसरे ही दिन उनका सुहाग और सम्मान चला गया। इसलिए हमें हमेशा खुद को उप अर्ध छोटा महसूस करना चाहिए। मनुष्य उपस्थिति हो सकता है, प्रकट होने वाला तो परमात्मा है। हम उपकरण बना सकते हैं, पर पंचतत्व तो वही बनता है। हम सिर्फ उपवन बना सकते हैं, लेकिन उसे वृंदावन नहीं बना सकते। मनुष्य उपकार कर सकता है, लेकिन कृपा नहीं कर सकता।

आप बड़े कर भी उप ही जाएंगे, कृपा तो परमात्मा ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कपडे की पसंद पर लिखा होता है- फैशन के इस दौर में विवेक की इच्छा न रखें। जब परिवार में बेटा-बेटी या बहू कोई बात न माने तो इसे याद कर लें। पढ़ लिख अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ दें, कोई टिप्पणी नहीं हो रही है। यह पाप के समान है।

उन्होंने कहा कि भगवान को भूल जाना विपत्ति है और उनका स्मरण करना सबसे बड़ा व्यक्ति है। सीता ने लंका की कुटिया में एक क्षण के लिए भगवान राम को विस्मरण कर दिया था, उसी पल माया मृग आ गई। इससे 435 दिन उन्हें राम से दूर लंका में रहना पडा। याद रखें, भगवान को एक घड़ा भूलने की कीमत 435 दिन होती है, हम कितने समय भक्ति से दूर होकर राम को भूल जाते हैं, उसकी कीमत हमें चुकानी होगी।


उतरा भक्ति का सागर, लग रहा जाम

रविवार को तीसरे दिन बड़े के बालाजी धाम परिसर में विराट कथा पंडित भी छोटा पड़ गया। कोटा, झालावाड़ और बारां जिले के साथ ही मध्य प्रदेश के सीमा क्षेत्रों से बड़ी संख्या में भक्त पं.नगरजी के ओजस्वी प्रवचन सुनने पहुंचे। भक्तों की संख्या 70 हजार से अधिक हो जाने से सैकड़ों भक्तों ने भक्तों के बाहर खड़े शांतिपूर्वक प्रवचन सुने।

पार्किंग स्थल पर बड़ी संख्या में बसों, ट्रैक्टर ट्रोलियों, निजी दुपहिया और चार पहियों की लंबी कतारें लग गई और जाम लग गया। कथा के अंत में प्रदेश के खान और गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया, यश जैन भाया ने श्रीमद् भागवत की महाआरती की और नियमित कथा सुनने वाले सभी श्रद्धालुओं का प्रमाण व्यक्त करते हैं।

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