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श्रेनु पारिख: चाहे फिल्म हो या वेब सीरीज, जहां अच्छा काम होगा: श्रेनु पारिख

यश दीक्षित
‘इश्कबाज’ और ‘इस प्यार को क्या नाम दें? एक बार फिर’ जैसे टीवी शोज में नजर आईं एक्ट्रेस श्रेनु पारिख अब नए शो ‘मैत्री’ में नजर आ रही हैं। एक दशक से भी ज्यादा नशे से टीवी की दुनिया में काम कर रही श्रेनू पारिख इसे अपना घर मान लेती हैं। वह खुश हैं कि उन्हें ऑडियंस और मेकर्स का बेशुमार प्यार मिल रहा है। हालांकि, तालमेल कलाकार उनके अंदर अच्छा काम करने की भूख है इसलिए वे काम के मामले में खुद पर कोई पाबंदी नहीं लगाते हैं। श्रेनू पारिख ने हाल ही में हुई बातचीत में नए शो ‘मैत्री’ के बारे में बात की:

दो दिल एक जानकी दोस्ती

मैं बहुत छोटी थी, जब शाहरुख खान और काजोल की फिल्म ‘कुछ-कुछ होता है’ देखी गई थी, जिसमें वो डायलॉग है ना, दोस्ती प्यार है। उस समय मुझे उसी प्यार की परिभाषा होगी। हमेशा मैं दोस्तों में यही तलाशी थी कि जो भी मेरा दोस्त हो, वो मेरा दर्द समझ। मेरी खुशियों में शरीक हो सके। मैं मैत्री की तरह ही हूं, जो दूसरों का दुख-दर्द समझती है। मेरे निजी जीवन में भी बहुत से दोस्त हैं, इसलिए मैं बहुत प्यार करता हूं। वे सभी मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। शो में मेरी को-स्टार से दोस्ती दिल एक जान टाइप है, जो हमेशा एक साथ रहना चाहते हैं। उनकी खबर है कि वे दोनों शादी के बाद भी एक साथ घर में रहेंगे।


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मेरा अभिनेता बहुत खुश है

मैं हमेशा से अच्छा काम करने की तमन्ना इंसान हूं। ऐसा नहीं है कि मैं टीवी में ही ज्यादा फोकस करना चाहता हूं। मैंने रीजनल सिनेमा में भी काफी काम किया है। दो गुजराती शोज और एक फिल्म भी रखी है। मैं खुद को कड़वा से बात करके खुश होती हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह एक कलाकार के लिए बहुत जरूरी है। आप जितने विवरण विवरण देते हैं, उतने ही आपको भिन्न अभिनय सीखने को मिलते हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि जिस तरह खुली हुई टीवी ने मुझे बुलाया है, वैसा ही प्यार मुझे कहीं और महसूस नहीं होता। आपको लगता है कि नहीं घूम फिरकर आप अपने घर पहुंचें तो मेरे लिए टीवी उसी तरह है।


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अच्छा सामग्री बन रहा है

मेरे आने के बाद मैंने टीवी इंडस्ट्री में बहुत से बदलाव देखे हैं। मैं जब इस इंडस्ट्री में आई थी, तो उससे पहले टीवी में ना कभी पश्चिमी कपड़े पहने हुए थे और ना ही अंग्रेजी भाषा का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था। समय के होश से बदलाव जरूरी है। हर झलक में अच्छी सामग्री बन रही है। फैशन, भाषा, संस्कृति के होश से भी अब हमारी इंडस्ट्री में काफी बदलाव आ चुके हैं। आगे और भी बहुत कुछ बदलेगा, हमें हर तरह की चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।

ठेकेदार खुद को बांधकर नहीं रखते

मैंने काम के मामले में खुद को बांधकर नहीं रखा है। अच्छा काम जहाँ भी होगा, मैं उसे चाहूँगा। फिर चाहे वह टीवी हो, फिल्म हो या वेब सीरीज। मैं अलग-अलग स्तरों के अक्षर बनाना चाहता हूं। मैं बहुत स्वार्थी कलाकार हूं और यह कहने में जरा भी शर्म नहीं दिखाता। मैंने एक हिंदी वेब शो किया था, जो मेरे बाकी काम से बिल्कुल अलग था। मैंने गुजराती शो में ग्रे शेड किया था और ‘डैमेज्ड’ में भी डार्क शेडेड करने का मौका मिला था।

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