मुंबई: चुनाव आयोग के फैसले से जहां भाजपा के एकनाथ शिंदे गुट में खुशी की लहर है, वहीं उड़े ठाकरे गुट में इस फैसले को लेकर निराशा है। आयोग के फ़ैसले से सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर धावा बोलने की आखिरी उम्मीद है। उडौड़ा ठाकरे ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है। वहीं वे इस मुद्दे पर पार्टी के सांसद और दृष्टिकोण से मिलेंगे।
उडौड़ा चुनाव आयोग के इस फैसले से बेहद अलग नजर आई। उन्होंने कहा- ‘ये अन्याय है, देश में तानाशाही की शुरुआत हो गई है, ऐसा आलान प्रधानमंत्री कर देंगे तो ज्यादा अच्छा लगेगा। देश में प्रजातंत्र नहीं हो रहा है। उनमें से चुनाव में हार नहीं मानी है।’
आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला होगा
उडौड़ा ने कहा-‘मैंने कहा था कि चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले फैसला नहीं देना चाहिए। यदि किसी सांसद की संख्या के आधार पर पार्टी का अस्तित्व तय किया जाता है, तो कोई भी पूंजीपति विधायक, सांसद खरीद सकता है और सदस्य बन सकता है। हम निश्चित तौर पर चुनाव आयोग के इस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे। हमें यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इस आदेश को रद्द कर देगा और 16 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट हमारी उम्मीद है
उड़ौद ने कहा-‘आप कहते हैं कि कांग्रेस ने भी देश में सरकार गिराई थी, इसलिए तो आप लाए थे अब आप भी यही कर रहे हैं। इंदिरा गांधी में देनदारी की हार थी, आप में हार नहीं है। मैं फैसले को चुनौती दूंगा। सुप्रीम कोर्ट हमारी आखिरी उम्मीद है।’ दरअसल, चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले नाम को मूल भाजपा के रूप में मान्यता दी और पार्टी का मूल चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान’ प्रदान किया। शिंदे ने कहा कि चुनाव आयोग ने यह फैसला जांच-परख कर दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा विचारधारा वाली पार्टी है और शिंदे विचारधारा को आगे ले जा रहे हैं।
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