साल 2022 में बॉलीवुड की रीमेक फिल्मों पर कई सवाल उठे। हालांकि इन सवालों के बीच ‘दृश्ययम 2’ भी चल रहा है। अब इस साल की शुरुआत में कार्तिक आर्यन और कृति सेनन की जोड़ी नजर आ रही है। ‘शहजादा’ में। ये फिल्म 2020 की इशारा फिल्म ‘अला वैकुंठपुरमलु’ का हिंदी रीमेक है, जिस में सुपरस्टार अल्लू अर्जुन नजर आए थे। ‘अला वैकुंठपुरमलु’ की बात न भी करें और इस फिल्म को एक हिंदी फिल्म की तरह देखें तब भी ये फिल्म एक एवरेज मसाला फिल्म से ज्यादा कुछ भी नहीं है। चलो, बताता हूं कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं।
कहानी की बात कर लें तो शुरुआत कुछ इस तरह से होती है कि जिंदल कंपनियों के मालिक रणदीप जिंदल और उनके यहां काम करने वाले एक कर्मचारी वाल्मीकि के एक ही दिन का बेटा पैदा होता है। लेकिन वाल्मीकि, यह अपने बेटे को जिंदल के बेटे से बदल देता है। शानी महलों के शहजादा को वाल्मीकि का बेटा कहा जाता है और उन्हें जिंदल खानदान का वारिस कहा जाता है। लेकिन फिर ट्वीस्ट सामने आता है, जब ब्रेकू से इस सच का पता चलता है। अब इस एक करोड़ के बंटवारे को पाने के लिए क्या करेगा, कैसे करेगा, यही आप इस फिल्म में देख सकते हैं।
2023 में ऐसी फिल्म में क्यों?
ये भले ही 2022 की तेलुगू फिल्म का रीमेक हो, लेकिन इसकी कहानी 80 या 90 के दशक की फिल्मों के अंदाज को याद दिलाती है। निर्देशक डेविड दोषी के बेटे रोहित दलाल ने ही इस फिल्म को निरदेशित किया है और उनकी इस फिल्म में पापा वाला साफ अंदाज में देख रहा हूं। लेकिन आज के दौर में हम दर्शकों को 80 के दशक की कहानी और वो अंदाज क्यों परोस रहे हैं, वो भी बिना किसी वेल्यू एडिश्न के, ये मेरी समझ से बाहर है। ‘पठान’ की सफलता ने इस तर्क में जान फूंक दी है कि ‘मसाला फिल्म में’ आज भी दर्शकों को सिनेमाघरों में खींचकर धमाका कर सकती हैं। लेकिन हम बार-बार ये भूल जाते हैं कि ‘पठान’ में शाहरुख का ‘कमबैक फेक्टर’ सबसे मजबूत था। हालांकि उनकी कहानी की भी आलोचना हुई है। ‘शहजादा’ भी वही करने की कोशिश कर रही है।
कार्तिक आर्यन की फिल्म ‘शहजादा’ साफ फिल्म ‘अला वैकुंठपुरमलु’ का हिंदी रीमेक है। (फोटो साभारः poster/Youtubevideograb)
न कुछ नया, न कुछ अनोखा
इस फिल्म में कुछ भी नया या यूनीक नहीं है। फिल्म एवरेज है, क्यों कि शुरू से लेकर फाइनल तक कहीं भी सरप्राइज फेक नहीं है। जो हो रहा है, वो होने से पहले ही अपको पता है, ऐसा होगा। लेकिन कई सीन्स अचानक ऐसे खत्म कर दिए गए हैं कि क्या ही कहूं. जैसे कार्तिक के अपने दादा को लेकर सीधे मॉरीशस पहुंच गए। इस सीन का तो कोई लॉजिक ही समझ नहीं आता।
संगत का पाप कैसे माफ करें
फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है, इसके गाने जो अचानक से बीच में आ जाते हैं। कहानी चल रही है, आपको लगता है कि शायद अब कुछ होगा और फिर अचानक कोई गाना बजता है। स्टेनो की धुन या अंदाज भी ऐसा नहीं है कि कहानी का रिदम तोड़ने का उनका पाप माफ कर दिया जाएगा। विशेष रूप से दिवाली को दीखाने वाला गाना तो बिल्कुल नहीं।
ये फिल्म कार्तिक और परेश रावल की है
एक्टिंग की बात करें तो कार्तिक इस फिल्म में बेहतरीन लगे हैं। आप देख सकते हैं। पर कृति के लिए करने के लिए कुछ है ही नहीं। वह इस फिल्म में ब्यूटी एड करती हैं, बस। प्रदर्शन करने का तो उनके पास स्कॉपी ही नहीं है। ऐसा ही कुछ मनीषा कोयराला के साथ भी हुआ है। कुछ बहुत ही अनुनाद उनका भी नहीं लगाया गया है। ये फिल्म कार्तिक-परेश रावल की है, सीन के हिसाब से भी और एक्टिंग के हिसाब से भी। हां, कुछ एक्शन सीन्स रिफ्रेशिंग और नए लगे। जैसे चन्नी वाला एक्शन सीन।
शहजादा (शहजादा) का निरोध रोहित अपराधी ने किया है।
इस फिल्म में नया, अनोखा या सरप्राइज वाला फेकटर जैसा कुछ नहीं है। ये एक एवरेज फिल्म है, जिसे अगर दोस्तों के साथ आप देखें तो शायद मजा आ जाए। क्योंकि दोस्तों के साथ तो वैसे भी कहीं भी मजा लिया जाता है। मेरी तरफ से इस फिल्म को 2 स्टारर।
विस्तृत रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
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पहले प्रकाशित : 17 फरवरी, 2023, 17:14 IST