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शर्मिला टैगोर: कभी घर का किराया भरने के लिए फिल्में करती थीं शर्मिला टैगोर, उन दिनों का हाल बताया – शर्मिला टैगोर ने खुलासा किया कि उन्होंने सिर्फ किराया देने के लिए एक बार फिल्में की थीं और साथ ही बताया कि गुलमोहर उनके लिए क्यों महत्वपूर्ण थीं

बीते जमाने की मशहूर एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर फिल्म ‘गुलमोहर’ से फिल्मों में 12 साल बाद वापसी कर रही हैं। 3 मार्च को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली इस फिल्म को लेकर शर्मिला टैगोर के साथ-साथ फैन्स भी काफी एक्साइटेड हैं। शर्मिला टैगोर अपनी इस कमबैक फिल्म को जी-तोड़ अंदाज में प्रमोट कर रही हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार में शर्मिला टैगोर ने अपने करियर के उस दौर को याद किया, जब उन्होंने सिर्फ इसलिए फिल्में कीं ताकि घर का किराया हासिल कर सकें। यह तब की बात है जब उन्होंने 50-60 के दशक में फिल्में करना शुरू की थीं।

शर्मिला टैगोर ने ‘इंडियाटुडे’ से बातचीत में बताया कि उन्होंने कई मौकों पर किन कारणों से फिल्में बनाईं और ‘गुलमोहर’ जैसी फिल्म क्यों बनाई उनके लिए बेहद जरूरी था। इस फिल्म में शर्मिला टैगोर कुसुम नाम की एक महिला के रोल में हैं, जो एक मां है। फिल्म में मनोज वाजपेयी उनके किरदार में हैं।

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घर का किराया भरने के लिए Movies

शर्मिला टैगोर ने कहा, ‘हम पेशेवरों के रूप में, कभी-कभी किसी काम के लिए फिल्म साइन करते हैं तो कभी सिर्फ इसलिए कि घर का हायर भरती। कभी-कभी हम किसी पीर या फिर किसी की मदद के लिए फिल्म करते हैं, जो सोचता है कि अगर मैं उस फिल्म का हिस्सा हूं तो वह किसी पर अच्छा अधिकार जताता है।’

शर्मिला टैगोर ने आगे कहा, ‘मैंने कई वजहों से फिल्में बनाई हैं और मुझे लगता है कि ऐसा मैंने किया है क्योंकि मुझे स्क्रिप्ट पसंद आई। नींद आना बहुत जरूरी भी था। लेकिन इस समय, जहां आज मैं हूं, कुसुम (गुलमोहर) बहुत जरूरी था। मां क्या है और एक भाभी क्या होती है, इसे लेकर एक खास छवि है। उस तरह की चीज है।’

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बताया क्यों जरूरी है ‘गुलमोहर’

शर्मिला टैगोर ने बताया कि उनके लिए ‘गुलमोहर’ करना क्यों जरूरी था और वह अपनी कमबैक पर क्या सोचती हैं। वह बोलीं, ”गुलमोहर” में, मेरे सामने कई सम्बोधन हैं, जैसे कि वास्तविक जीवन में। हमारी पीढ़ी या बुजुर्ग कई बार युवा पीढ़ी को जगह देने के लिए अपनी दृष्टि में आते हैं। यह एक महिला के लिए स्वाभाविक रूप से होता है। लेकिन, यह महत्वपूर्ण है कि यदि आप अपनी इच्छा को प्राथमिकता देते हैं, तो यह गलत नहीं है।’

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शर्मिला टैगोर की टीस?

शर्मिला टैगोर ने कहा, ‘मैं उम्र के एक ऐसे पड़ाव पर हूं जहां मेरे बच्चे सैटल हो गए हैं। वो अपनी जिंदगी जी रहे हैं और उनके बच्चे हैं। उनका पूरा ध्यान उनके अपने बच्चों पर है। मुझे लगता है कि यह ठीक है। और मैं कुछ कर सकता हूँ। कुछ अच्छा और कुछ अलग। मुझे कोई अपराधबोध या चेतावनी नहीं है। क्योंकि हम सभी, खासकर महिला अपराधबोध से पीड़ित हैं। लेकिन अब आप ऐसा महसूस नहीं करते हैं। एक निश्चित उम्र के बाद, आपको लगता है कि मैं एक तरह से स्वतंत्र हूं। तो यह भी बहुत अच्छा है।’

गुलमोहर 3 मार्च को डिज़नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ होगी। इसमें मनोज वाजपेयी और शर्मिला टैगोर के अलावा अमोल पालेकर भी आते हैं। फिल्म की कहानी बत्रा परिवार के दूसरे चक्रों में घूमती है, जिसमें तब हड़बड़ी और मुश्किलों का दौर शुरू हो जाता है, जब वह 34 साल पुराने घर को छोड़कर जाने की तैयारी करता है।

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