
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पूर्णिमा चुनाव 2024 को लेकर तैयारियां करने में जुटे हैं। शरद पवार ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाहते हैं। वो आश्वस्त करेंगे कि महाविकास अघाड़ी घटक दल राज्य का अगला विधानसभा चुनाव और 2024 का सातवां चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे।
पांच। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाहते हैं और वह सुनिश्चित करेंगे कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक दल राज्य का अगला विधानसभा चुनाव और 2024 का चुनाव साथ मिलकर चुनाव लड़ें । पवार ने पुणे शहर केबा पेठ विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक रवींद्र धंगेकर से मिलने के बाद जैरापिट से बातचीत में यह टिप्पणी की। धंगेकर राकांपा प्रमुख से मिलने के लिए उनके आवास पर स्थित थे।
पवार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गढ़ कस्बा पेट में हुए विधानसभा उपचुनाव में आम लोग धंगेकर को चुने गए हैं, क्योंकि वह पिछले कई सालों से उनके लिए काम कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि आगामी निकाय चुनावों में एमवीए के घटक दल के साथ लड़ने का फॉर्मूला दोहराएंगे, पवार ने कहा कि राकांपा में उनके सहयोगी इस पहलू पर गौर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हालांकि, मेरा प्रयास यह सुनिश्चित करना होगा कि एमवीए के घटक दल एक साथ रहें, संयुक्त चुनाव लें और राज्य विधानसभा एवं विधानसभा चुनावों का एक साथ सामना करें।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैं राज्य में घूम रहा हूं और इस दौरान लोग ~ कह रहे हैं कि वे बदलाव चाहते हैं। वे चाहते हैं कि हम (विपक्ष) के साथ कम हों। यह लोगों की भावना है।” एमवीए का गठन 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद हुआ था, जब उड़ने वाले ठाकरे और उनकी पुरानी सहयोगी भाजपा की राहें जुदा हो गए थे। इसमें बीजेपी (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं। कस्बा पेठ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस-एमवीए उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर ने भाजपा सांसद हेमंत रासने पर 10,800 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी।
झिझक ने शुरुआत में कहा था कि कस्बा पेठ में जीत मुश्किल नजर आ रही है, क्योंकि बीजेपी सांसद छविश बापट वहां के अटैचमेंट के बीच मजबूत पकड़ बनाए रखते हैं। उन्होंने कहा, “बापट की खूबी यह है कि उनकी पार्टी के खाते के साथ मजबूत संबंध थे, साथ ही गैर-भाजपा दलों के साथ भी उनके संबंध सौहार्दपूर्ण थे। इसलिए हमारा अख्तियार था कि कस्बा पेठ में जीत हमारे लिए मुश्किल होगी, क्योंकि निर्वाचन क्षेत्र में बापट की पकड़ मजबूत थी।” पवार ने आगे कहा, “लेकिन अंत में हमने महसूस किया कि इस बात को लेकर सुगबुगाहट थी कि बीजेपी उम्मीदवार का चयन करते समय बापट के सुझावों पर विचार किया गया था।” वे कस्बा पेठ में जीत का श्रेय धंगेकर द्वारा किए गए कार्यों और एमवीए के लिए प्रयास को दिया।
भाजपा द्वारा चुनाव के अंतिम चरण में कथित रूप से हिंदुत्व फैक्टर आने की कोशिशों के बारे में पूछे जाने पर पूछे जाने पर मौन ने कहा कि वे लोगों को सीढ़ी के बारे में बहुत सी बातें कहते हुए सुन रहे हैं, जिन्होंने पिछली एमवीए सरकार का नेतृत्व किया था। चुनाव से पहले बीजेपी द्वारा धन दलों के जाने के झूठ पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि उन्हें नोटों के निर्देशों की कुछ तस्वीरें दिखाई दीं, लेकिन वह मामले की गहराई में नहीं गए। चमक ने कहा, “ये तस्वीरें उन लोगों ने दिखाई थीं, जो राजनीति में नहीं हैं। उन्होंने मुझे बताया कि वे एक खास विचारधारा को वोट देते हैं, लेकिन कहा कि जब वे बंटते हुए देखे तो इन लोगों से दूर जाने का फैसला किया।” राकांपा प्रमुख ने कहा, “पारंपरिक मतदाता को धन साझाना पसंद नहीं आया। उन्होंने चुनाव में यह साबित कर दिया कि वे इन बातों को स्वीकार नहीं करेंगे।” बीजेपी ने धोखे को कथित तौर पर वितरण से किसी भी तरह के संबंध होने के भ्रम से इनकार किया था।
प्याज की लाइट में गिरावट और नेफेड द्वारा खरीद को लेकर किसानों की दावेदारी पर लगे पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि नासिक के कुछ किसानों ने उन्हें बताया कि प्याज की खरीद ठीक से नहीं हो रही है। पवार ने कहा, “प्याज के दाम कम हो गए हैं, लेकिन उनके भंडारण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। राज्य और केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। किसानों का कहना है कि सरकार ने जो भी निर्णय लिए हैं, वो उचित नहीं हैं।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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