शाहजहाँपुर समाचार: यूपी के शाह जहांपुर में होली (Holi 2023) पर ‘लाट साहब’ का अनोखा और अजीबोगरीब जुलूस निकाले जाने का आकर्षण हर साल लोगों के कौतूहल का विषय बनता है। इस साल भी इस जाम को तैयारियां जोरों पर हैं और इसकी अटकलों को देखते हुए प्रशासन बहुत ज्यादा लापरवाही बरत रहा है। ‘लाट साहब’ का संपर्क शाह जहांपुर शहर कोतवाली क्षेत्र के फूलमती देवी मंदिर से शुरू होता है। लाट साहब के तौर पर एक व्यक्ति को चुना जाता है लेकिन उसकी पहचान गुप्त रखी जाती है। संपन्न होने के बाद उसे तरह-तरह के प्रस्तुतिकरण और रोजगार से नवाजा जाता है।
लाट साहब का संदेश काफी दिलचस्प और अनुभूत होता है। इसमें काले लिबास में ‘लाट साहब’ की पहचान छुपाने के लिए उसे हेलमेट पहनाया जाता है। शहर स्थित देवी मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद लाट साहबा गाड़ी पर पड़े तख्ता पर विराजमान होते हैं। उनके साथ चलने वाले होरियारे उन्हें झाड़ू से पंखे से हवा करते हैं। इसलिए ही नहीं, वे होलिका माता का जयकारा करते हुए पिछले साब को जूते भी दिखाते हैं।
किसी नाटक के भव्य और यथार्थपूर्ण मंच पर सा खुलने वाला यह खुलने पर जब कोतवाली के अंदर प्रवेश करता है तो कोतवाल पारंपरिक रूप से लाट साहब को जारी देते हैं। उसके बाद लाट साहब कोतवाल से पूरे साल के पंख के चाहते हैं तो कोतवाल उन्हें एक शराब की समुद्र और नगद पहुंच इनाम में देते हैं। यह लाइट कोतवाली क्षेत्र से शुरू होकर चार किलोमीटर की यात्रा तय करता है थाना सदर बाजार क्षेत्र तक लौटता है। यह बड़े लाट साहब का संबंध होता है। शहर में लाट साहब के छह और जुड़ाव भी जुड़े हुए हैं जो अलग-अलग मोहल्लों में आयोजित किए जाते हैं।
ऑनलाइन के इतिहास के बारे में जानिए
शुकदेवानंद कोलाज के इतिहास विभाग के प्रभार डॉक्टर विकास खुराना ने इसे जारी करने के इतिहास के बारे में बताया कि रोहिलखंड के नवाब अब्दुल्ला खान बहादुर रोहिल्ला ने साल 1730 में शाह जहांपुर में हिंदू-मुसलमानों के साथ मिलकर होली खेली थी। फिर हिंदू के आग्रह पर नवाब दुर्ग के पास किले के बाहर निकले तो दोनों धर्मों के लोगों ने नारा लगाया कि ‘नवाब साहब आ गए।’ इसी घटना की याद में हर साल होली पर एक खींचकर बांधना शुरू किया गया। बाद में इसे लाट साहब का नाम दिया गया। उन्होंने बताया कि नवाब अब्दुल्ला खां अंग्रेजों के कट्टर विरोधी थे। साल 1857 की क्रांति के बाद अँधेरों ब्रिटिश सरकार के निशान पर खां की याद में निकाले जाने वाले इसका प्रत्यक्ष का स्वरूप बदल दिया गया और समय के साथ यह और गलत हो गया। आज आलम यह है कि इस शादी में लाट साहब को जूते तक पीड़ित हो जाते हैं। अपनी तरह के इस अकेले और अजीबोगरीब जुलूस की चर्चा पूरे देश में होती है।
इस बार भी लाट साहब के लिए तैयारियां जोरों पर हैं और पुलिस प्रशासन मामले को देखते हुए बहुत परेशान हो रहा है। जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि लाट साहब के दस्तावेजों के लिए 12 जोनल मजिस्ट्रेट, 13 सेक्टर मजिस्ट्रेट, 24 उप सेक्टर मजिस्ट्रेट और 87 स्टेटिक मजिस्ट्रेट दिए गए हैं। सांख्यिकीय संवेदनशील स्थान पर बने रहेंगे। अधिकार अधिकार मार्ग मार्ग पर प्रतिबंध देखें।
पूरे जिले में धारा 144 लागू करें
अपर जिलाधिकारी (वित्तीय एवं राजस्व) त्रिभुवन ने बताया कि लाट साहब के विभिन्न जिम्मेवार मॉनिटरों में सभी मस्जिदों को प्लास्टिक से पूरी तरह ठीक कर दिया गया है। इसके अलावा मार्ग में छोटी-छोटी सड़कों को भी अवरोधकों से बंद कर दिया जाएगा। पूरे जिले में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है।
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पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने बताया कि लाट साहब के कब्जे के लिए उन्होंने प्रशासन से पांच पुलिस क्षेत्राधिकारी स्तर के अधिकारी, एक कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स, एक कंपनी पीएसी, 200 थाना प्रभारी निरीक्षक और 800 कांस्टेबल की मांग की है। इसके अलावा स्थानीय अभिसूचना इकाई द्वारा संदिग्ध लोगों और गुंडागर्दी को भी चिन्हित किया जा रहा है। गुंडागर्दी पर पैनी नजर रखी जाएगी किसी भी कीमत में हम माहौल खराब नहीं होने देंगे।