रायपुर: राजस्थान में अंदर खांने शेषी गहलोत सरकार को घटकने की कवायट तेज हो गई है। हाल ही में राजस्थान कांग्रेस का प्रभार बनाए गए हीहजिंदर सिंह रंधावा पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के वक्त माचे घमासान के दौरान अशोक गहलोत के समर्थन में दिए गए दृष्टिकोण को वे अब वापस ले लें। इस काम में रंधावा काफी हद तक हद तक हो रहे हैं। खबर है कि रंधावा के सीपी जोशी से मिलने के बाद अब कई विधायक इस्तिफ़ा वापस ले रहे हैं।
विधानसभा सत्र से पहले सुलटाने की कोशिश
बता दें कि राजस्थान कांग्रेस का प्रभार हीजिंदर सिंह रंधावा ने सीपी जोशी से अधिग्रहित किया और गहलोत गुट के लिए तय करना वापस लेना शुरू कर दिया। खबर है कि कई दशकों के करीब इस्तिफ़ा वापस लेने के लिए शांतिधारीवाल का फ़ोन भी आ गया है। कांग्रेस की कोशिश है कि 23 जनवरी से विधानसभा का बजट सत्र होने से पहले राजस्थान की सियासी रेत पर तूफान शांत कर ले। यही कारण है कि कांग्रेस ने राजस्थान कांग्रस प्रभार बनने के बाद 27 दिसंबर को रंधावा को रायपुर भेजा। 2 दिन के इस दौरे में रंधावा बैक टू बैक जमा कर रहे हैं। बड़ा सवाल ये है कि दो धड़ों में बंटकर कांग्रेस को रंधावा फिर से संगठित कर देंगे।
कांग्रेस आलाकमान को चैलेंज किया था
बता दें कि सितंबर 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत का नाम आगे था तो राजस्थान की कुर्सी पर जमे रहने को लेकर गहलोत गुट के करीब 90 झुकाव ने सीधे कांग्रेस आलाकमान को ‘लाल आखें’ दिखाते हुए 25 सितंबर को बात दी थी । कथित तौर पर उस वक्ती राजस्थान के इस सियासी भूचाल पर आलाकमान ने एक लाइन के प्रस्ताव को पारित किया था जिसे अजय माकन के रूप में देखा गया था। रंधावा से पहले राजस्थान का सियासी भूचाल माकन ही संभाल रहे थे।